यह मंदिर उत्तर प्रदेश के लखीमपुर-खीरी के मैगलगंज में गोमती के किनारे मढ़ियाघाट पर स्थित है। मंदिर को बाबा पारसनाथ के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि दरबार में स्थापित शिवलिंग का अभिषेक करने से कुंवारों को उनका मनचाहा जीवनसाथी मिल जाता है।
लखीमपुर शहर से करीब 55 किलोमीटर की दूर मैगलगंज कस्बे के दक्षिण में स्थित लगभग पांच किलोमीटर पर गोमती नदी के किनारे स्थित मढ़ियाघाट स्थान की मान्यता है कि प्राचीन काल में महर्षि व्यास के पिता पारसनाथ ने इस शिवलिंग का अधिष्ठान कराया था।
यहां कुंवारों की मुराद पूरी करते है भोले बाबा
मढ़िया घाट मंदिर की एक और विशेषता ये है कि यहां गोमती नदी उत्तरायणी बहती है। इस नदी में चर्म रोगों से ग्रसित कोई भी व्यक्ति डुबकी लगाकर भगवन शिव को जल चढ़ाकर मनौती मांगता है तो उसके चर्म रोग दूर हो जाते हैं। प्राकृतिक सुंदरता के बीच रमणीक स्थान पर बसे इस मंदिर की नैसर्गिक सुंदरता भी देखते बनती है। कहा जाता है कि यहां हर दिन सुबह में शिवलिंग की पूजा अर्चना स्वयं ही हो जाती है।
मान्यता है कि अगर कोई भी व्यक्ति अपनी शादी न होने को लेकर परेशान है तो वह यहां आकर बाबा पारसनाथ का अभिषेक करता है तो जल्द ही उसकी इच्छा पूरी हो जाती है। यही कारण है कि महाशिवरात्रि के दिन यहां दूर-दूर से कुंवरे आते हैं और शिवलिंग पर अभिषेक करके अपने इच्छित जीवनसाथी की मांग करते हैं।