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18 साल बाद राममंदिर निर्माण को लेकर एक और रथयात्रा का ऐलान!

भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में 18 वर्ष पूर्व रथयात्रा निकाली गई थी, जिसने देश की राजनीति को नई दिशा दी। क्या 1 दिसंबर से दिल्ली में शुरू होने वाली रथयात्रा जनता को लुभा पाएगी?

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Ram rath yatra

18 साल बाद राममंदिर निर्माण को लेकर एक और रथयात्रा का ऐलान!

भाजपा और आरएसएस के नेताओं ने अचानक फिर से राममंदिर की रट लगाना शुरू कर दिया है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अब अयोध्या में राममंदिर के निर्माण औऱ् की मांग को लेकर 1 दिसंबर से दिल्ली में रथयात्रा निकालने जा रहा है। भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में सितंबर से अक्टूबर 1990 के दौरान भी राममंदिर के निर्माण की मांग को लेकर राम रथयात्रा निकाली गई थी। उसके बाद भाजपा का राजनीतिक ग्राफ लगातार ऊपर चढ़ता गया।

भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनावों में भ्रष्टाचार के खात्मे और विकास को प्रमुख मुद्दा बनाया था। इन दोनों ही मुद्दों पर उसकी सफलता या विफलता इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। विपक्षी दल (विशेष रूप से कांग्रेस) तो अब भाजपा को रफाल सौदे में हुए कथित भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ही घेर रहे हैं।

संकल्प रथयात्रा नाम की इस यात्रा से संघ को इस बात का अंदाजा लग जाएगा कि इस मुद्दे पर उसे कितना जनसमर्थन मिलेगा। उसके बाद ही आगे की रणनीति तय की जाएगी। शायद इसीलिए इस रथयात्रा का आयोजन फिलहाल केवल दिल्ली में 1 दिसंबर से 9 दिसंबर तक संघ के ही एक संगठन स्वदेशी जागरण मंच की देखरेख में किया जाएगा।

उधर, राममंदिर निर्माण के मुद्दे को लेकर ही विश्व हिंदू परिषद ने पिछले दिनों ही एक धर्मसभा आयोजित की थी, जिसमें साधु-संतों की मौजूदगी में राममंदिर का निर्माण करने की मांग सरकार से की गई थी।

आपको बता दें कि संघ प्रमुख मोहन भागवत भी कह चुके हैं कि राममंदिर मामले पर धैर्य का समय अब खत्म हो चुका है। उन्होंने यह मांग भी की थी कि मंदिर निर्माण कार्य के लिये अध्यादेश लाना चाहिए। शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी कहा था कि अगर राम मंदिर नहीं बना, तो दोबारा भाजपा सरकार नहीं आएगी। बाबा रामदेव भी बयान दे चुके हैं कि अगर वर्तमान सरकार ने रामंदिर का निर्माण नहीं कराया, तो जनता का भरोसा उस पर से खत्म हो जाएगा।