
शरद पवार और अजित पवार (Photo: IANS)
पुणे नगर निगम (PMC Elections) चुनाव से पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) को एक बड़ा झटका लगा है। पार्टी के शहर अध्यक्ष प्रशांत जगताप (Prashant Jagtap) ने अपने पद और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। जगताप का यह फैसला उस समय आया है जब पुणे की राजनीति में शरद पवार और अजित पवार के गुटों के बीच गठबंधन की चर्चाएं तेज हैं। जगताप ने पहले ही चेतावनी दी थी कि अगर पार्टी अजित गुट के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ती है तो वह इस्तीफा दे देंगे। हालांकि, पार्टी नेतृत्व ने इस गठबंधन को भाजपा को रोकने की रणनीति बताया।
इस्तीफे की घोषणा करते हुए प्रशांत जगताप भावुक नजर आए। उन्होंने कहा, "मैं 1996 से यानी पिछले 26 साल, 6 महीने और 14 दिनों से शरद पवार साहब के नेतृत्व में काम कर रहा हूं। मैंने अजित पवार और सुप्रिया सुले के साथ भी काम किया है और पार्टी ने मुझे मेयर जैसे प्रतिष्ठित पद तक पहुंचाया। मैं पार्टी की लोकल यूनिट में जमीनी स्तर से उठकर प्रेसिडेंट बना। मैं पवार परिवार का एहसानमंद हूं। मेरी तरक्की पवार परिवार की वजह से हुई।"
जगताप के इस्तीफे की मुख्य वजह पुणे में दोनों एनसीपी गुटों के बीच संभावित गठबंधन को लेकर पैदा हुई दुविधा है। उन्होंने कहा कि वह उस पार्टी के साथ हाथ मिलाने में असहज महसूस कर रहे हैं, जिसके खिलाफ उन्होंने हालिया विधानसभा चुनाव लड़ा था। उनके अनुसार, इससे समर्थकों और मतदाताओं के बीच उनकी छवि पर असर पड़ सकता है।
प्रशांत जगताप ने स्पष्ट किया है कि वह राजनीति नहीं छोड़ रहे हैं और पुणे महानगरपालिका चुनाव (PMC) जरूर लड़ेंगे। हालांकि, उन्होंने अभी यह खुलासा नहीं किया है कि वह किसी अन्य पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे या निर्दलीय मैदान में उतरेंगे। उन्होंने कहा कि वह अपने समर्थकों से बात कर अगला कदम तय करेंगे।
जगताप ने साफ किया कि भले ही वह पार्टी छोड़ रहे हैं, लेकिन शरद पवार हमेशा उनके 'साहब' (नेता) रहेंगे। उनके मन में पार्टी या नेतृत्व के खिलाफ कोई शिकायत नहीं है। जगताप ने दोहराया कि उनकी भाजपा के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी। इस बीच खबर आ रही है कि जगताप कांग्रेस में शामिल हो सकते है।
इस घटनाक्रम पर एनसीपी (शरद पवार गुट) की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने कहा है कि प्रशांत जगताप पार्टी के एक महत्वपूर्ण और वफादार साथी रहे हैं। वह जगताप से बातचीत करने और उनके विचारों को समझने के लिए तैयार हैं ताकि कोई समाधान निकाला जा सके।
पुणे नगर निगम की 165 सीटों के लिए 15 जनवरी 2026 को मतदान होना है। ऐसे में जगताप जैसे कद्दावर नेता का इस्तीफा शरद पवार गुट के लिए पुणे के चुनावी गढ़ में एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।
पुणे की राजनीति में भाजपा की स्थिति लगातार मजबूत बनी हुई है। भाजपा इस बार एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ मिलकर पुणे नगर निगम का चुनाव लड़ रही है, जिससे उसका दावा और मजबूत होता नजर आ रहा है। साल 2017 में भाजपा ने पहली बार पुणे नगर निगम में ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। तब पार्टी ने 98 सीटें जीतकर सत्ता पर कब्जा जमाया और शहर की राजनीति में अपना दबदबा स्थापित किया। इसके बाद से ही पुणे भाजपा का एक मजबूत गढ़ बनता चला गया।
पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में भी इसका असर साफ दिखा, जब भाजपा ने पुणे की सभी छह सीटों पर जीत हासिल की। यही नहीं, पुणे लोकसभा सीट पर भी पार्टी का कब्जा है। इस बार PMC (पुणे म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन) चुनावों में भाजपा-शिवसेना गठबंधन को एनसीपी के दोनों गुटों से चुनौती मिल सकती है।
Updated on:
25 Dec 2025 05:05 pm
Published on:
25 Dec 2025 04:29 pm
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