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नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी अदालत ने केंद्र सरकार के सीबीआई के निदेशक अलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने के फैसले को निरस्त कर दिया।विपक्ष इस फैसले को मोदी सरकार के हार के तौर पर पेश कर रहा है। वहीं सरकार का कहना है कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करेगी। मीडिया से बात करते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करेगी।
'सरकार की मंशा पर सवाल नहीं उठाए जा सकते है'
अरुण जेटली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि सरकार की मंशा पर सवाल नहीं उठाए जा सकते हैं। निष्पक्ष जांच के लिए और जांच एसेंसी की साख बचाने के लिए CBI के दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर भेजा गया। अरुण जेटली ने कहा कि चूंकि निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने एक-दूसरे पर आरोप लगाए हैं। इसलिए निष्पक्ष जांच के लिए केंद्रीय सतर्कता आयोग की सलाह पर दोनों को छुट्टी पर भेजा गया है। साथ ही उन्होंने कहा कि अभी सरकार फैसलों को विस्तार से पढ़ेगी तभी आगे के कदम उठाए जाएंगे। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस फैसले को संतुलित फैसला करार दिया। विरोधियों पर अप्रत्यक्ष तौर पर निशाना साधते हुए अरुण जेटली ने कहा कि इस फैसले को राजनीति के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। सरकार किसी व्यक्ति विशेष के पक्ष-विपक्ष के साथ नहीं। उन्होंने कहा, 'हो सकता है कि कोर्ट ने इस आधार पर फैसला दिया कि सीबीआई का डायरेक्टर अपने अधिकार से कुछ समय के लिए भी वंचित होता है तो वह कमिटी के पास जाना चाहिए। सीबीआई संस्था के तौर पर विश्वसनीयता इससे बढ़ती है तो यह स्वागत योग्य है। कोर्ट ने साथ ही अस्थायी तौर पर सीमित शक्तियों के साथ डायरेक्टर को बहाल करने का फैसला दिया है।
मोदी सरकार को झटका
मंगलवार को देश की प्रमुख जांच एजेंसी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) के निदेशक आलोक वर्मा (Alok Verma) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपना फैसला सुनाते हुए केंद्र सरकार को बड़ा झटका दिया। SC ने आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने का फैसला रद्द कर दिया, हालांकि आलोक वर्मा अभी नीतिगत फैसला नहीं ले सकते हैं। आलोक वर्मा नई जांच शुरू नहीं करवा पाएंगे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, कानून के तहत सीबीआई निदेशक को छुट्टी पर भेजने का अधिकार नहीं।
Updated on:
08 Jan 2019 01:56 pm
Published on:
08 Jan 2019 12:58 pm
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