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UP Assembly Elections 2022 : युवा मुस्लिम वोटर सपा के लिए पैदा कर सकता है परेशानी,ओवैसी बन रहे मुसीबत

UP Assembly Elections 2022 कभी मुसलमानों की रहनुमा कही जाने वाली सपा को आज मुरूिलम युवाओं के वोट के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। इस बार सपा के लिए मुस्लिम वोटों की राह आसान नहीं दिखाई दे रही। यहीं कारण है कि मुस्लिम युवा मतदाता इस बार शांत है। वहीं उसका रूझान ओवैसी की तरफ भी है। जिससे अखिलेश की सपा को नुकसान हो सकता है।

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मेरठ

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Kamta Tripathi

Feb 09, 2022

UP Assembly Elections 2022 : युवा मुस्लिम वोटर सपा के लिए पैदा कर सकता है परेशानी,ओवैसी बन रहे मुसीबत

UP Assembly Elections 2022 : युवा मुस्लिम वोटर सपा के लिए पैदा कर सकता है परेशानी,ओवैसी बन रहे मुसीबत

UP Assembly Elections 2022 बिहार विधानसभा चुनाव में हाथ अजमाने के बाद अब हैदराबाद सांसद और आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन यानी एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी यूपी में भाग्य अजमाने आए हुए हैं। इस यूपी चुनाव में ओवैसी काफी एक्टिव रहे। वे इस समय प्रदेश की करीब 100 सीटों पर ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि इस विधानसभा चुनाव में ओवैसी को सीट मिलेगी या नहीं इस पर संदेह है। लेकिन इतना तय है कि उनकी मौजूदगी से उन दलों को नुकसान होगा जो कि मुस्लिम वोटरों की रहनुमा कही जाती है। या मुस्लिम वोटों को अपनी जागीर मान बैठी हैं। इन पार्टियों में पहले नंबर सपा और दूसरे नंबर पर बसपा और तीसरे पर कांग्रेस आती है।

हालांकि पिछले एक दो चुनाव से मुस्लिम वोटरों का रूझान भाजपा की ओर भी हुआ है। लेकिन ओवैसी के आने से भाजपा के मुस्लिम वोटरों पर इसका असर नहीं पड़ेगा। इस बार सत्ता में वापसी की जोरदार कोशिश में जुटी सपा को ओवैसी बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो सपा के अखिलेश को चुनाव में जोरदार झटका लगेगा। इस समय युवा मुस्लिम वोटर ओवैसी को बड़े मुस्लिम नेता के तौर पर देख रहा है। यही कारण है कि ये मुस्लिम वोटर ओवैसी की ओर आकर्षित हो रहा है।

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गाजियाबाद के लोनी में हुई ओवैसी की रैली हो या फिर मेरठ में ओवैसी का रोड शो। दोनों ही जगह मुस्लिम युवाओं की संख्या अच्छी खासी रही। यही कारण रहा कि ओवैसी के पहुंचने से पहले पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया गया था। हापुड के छिजारसी टोल पर ओवैसी के ऊपर हुए हमले के बाद इसकी कोई प्रतिक्रिया किसी दल ने नहीं की। सभी ने इस मामले में चुप्पी साध ली। क्योंकि उन्हें पता था कि इस घटना पर प्रतिक्रिया के बाद उसका सीधा लाभ ओवैसी को ही मिलेगा। इसी कारण से सपा बसपा और कांग्रेस तक ने ओवैसी पर हुए जानलेवा हमले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त की। हां भाजपा सरकार ने जरूर ओवैसी से जेड श्रेणी की सुरक्षा लेने की बात कही थी। ओवैसी की रैली में युवा मुस्लिमों की संख्या अच्छी खासी रहती है।

हालांकि मुस्लिम युवकों का मानना है कि अभी ओवैसी को उप्र में काफी मेहनत करनी होगी। उन्हें इस प्रदेश के मुस्लिमों के बीच रहकर उनकी मुसीबतों और परेशारियों को समझना होगा। मुस्लिम राजनीति पर बारीकी से नजर रखने वाले कारी उसमान का कहना है कि मुस्लिमों को इस समय एक बड़े लीडर की जरूरत है जो कि उनकी लडाई लड़ सके। ये काम ओवैसी कर सकते हैं। यहीं कारण है कि आज मुस्लिम ओवैसी को जांच परख रहा है। अगर ओवैसी मुस्लिमों की नजर में खरे उतरे तो वे जरूर एक बिरादरी के नेता बनेगा।

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मेरठ के सरधना निवासी मुस्लिम युवक जो कि हैदराबाद में 4 साल रहकर आया था। उससे बातचीत में बताया कि हैदराबाद में वे लोगों की काफी मदद करते हैं। जब कोरोना संक्रमण था तो सड़क पर उतरकर लोगोंं की सहायता की थी। उसने बताया असदुद्दीन ओवैसी मुस्लिमों के लिए बेहतर होंगे। अब मुस्लिम युवक भाजपा और हिंदू प्रत्याशी को हराने के लिए वोट नहीं करते बल्कि वो भी वोट देने से पहले रोजगार, महंगाई और सुरक्षा जैसे मसलों को ध्यान में रखता है। मुस्लिम युवा अब ये समझ चुका है कि सपा की सरकार में एक विशेष जाति का वर्चस्व रहता है और उन्हीं की सुनी जाती है। लेकिन मुसलमानों की प्रगति नहीं हो पाती। जबकि आज मुस्लिम युवा वोटर ये मान रहा है कि ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम मुस्लिम समाज को आगे बढ़ाने में सक्षम है।