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राजनीति

क्या एमपी में जय और वीरू ने बजा दी कमलनाथ की घंटी?

सरकार गिराने के फिराक में काफी पहले से थी बीजेपी
नरेंद्र सिंह तोमर ने कमल के किले में लगा दी सेंध
अब कमलनाथ की एमपी से विदाई तय है

नई दिल्लीMar 11, 2020 / 12:19 pm

Dhirendra

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नई दिल्ली। आज एक तरफ देशभर में होली की धूम मची रही तो दूसरी तरफ मध्य प्रदेश कांग्रेस ( Madhya Pradesh Congress ) या फिर ये कहें कि कमलनाथ की सरकार ( Kamalnath Government ) खतरे में आ गई। ऐसा कांग्रेस के 22 विधायकों द्वारा इस्तीफा देने और ज्योतिरादित्य सिंधिया ( Jyotiraditya Scindhia ) की पीएम मोदी ( Pm MOdhi ) से मुलाकात की वजह से से हुई है। जानकारी के मुताबिक बुधवार को ज्योतिरादित्य बीजेपी में शामिल हो जाएंगे और उसी के साथ कमलनाथ की सरकार भी गिर जाए्गी। इस राजनीतिक उठापटक के बाद से इस बात की चर्चा जोरों पर है कि आखिर कमलनाथ के सियासी किलेबंदी को तोड़ने के पीछे का सियासी हीरो कौन है?
दरअसल, मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक विधायकों के समर्थन से बीजेपी प्रदेश की सत्ता पर कब्जा करने की मुक्कमल तैयारी कर चुकी है। हालांकि बीजेपी कमलनाथ सरकार का तख्ता पलट करने की फिराक में काफी पहले से थी, लेकिन पार्टी संगठन के एक मजबूत सिपाही और कद्दावर नेता ने इस बार ऐसी बिसात बिछाई कि बीजेपी कांग्रेस ( Congress ) को तोड़ने में कामयाब हो गई। यह नेता कोई और नहीं, बल्कि केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर हैं।
जमीन से जुड़े नेता नरेंद्र सिंह तोमर ( Narendra Singh Tomar ) का मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल संभाग में काफी प्रभाव है। कांग्रेस के ज्यादातर बागी विधायक भी इन्हीं संभाग से आते हैं, जिनके बगावत पर उतरने के कारण कमलनाथ सरकार संकट में आ गई है।
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केंद्रीय मंत्री के एक करीबी ने बताया कि बीजेपी की नई सियासत की बिसात बिछाने के सूत्रधार नरेंद्र सिंह तोमर ही थे। मध्य प्रदेश से लेकर दिल्ली तक की राजनीतिक घटनाक्रमों में वह हमेशा सक्रिय रहे। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ग्वालियर के मुरार में 1957 में पैदा हुए तोमर ने छात्र नेता के रूप ही अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। इसलिए संगठन पर इनकी मजबूत पकड़ है। इस संभाग में कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाने की जिम्मेदारी इनको दी गई थी।
ग्वालियर और गुना सिंधिया परिवार का गढ़ है। इसके लिए उनके गढ़ में पार्टी विधायकों को तोड़ने की रणनीति का सीधा मतलब था कि बीजेपी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए अपना दरवाजा पहले ही खोल दिया था। वैसे भी ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी व ग्वालियर की राजमाता विजया राजे सिंधिया जनसंघ की सक्रिय सदस्य होने के साथ-साथ भाजपा की संस्थापकों में शामिल रही थीं। बताया यह भी जा रहा है कि पार्टी में राजमाता विजया राजे सिंधिया के भी विश्वस्त रहे तोमर के सिंधिया परिवार से करीबी रिश्ते को देखते हुए भी उनको नई जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
विगत कुछ दिनों से दिल्ली स्थित नरेंद्र सिंह तोमर के आवास 3 कृष्ण मेनन मार्ग पर मध्यप्रदेश के बड़े नेताओं की आवाजाही बढ़ गई थी। इसके अलावा तोमर भी अपने क्षेत्र का दौरा ज्यादा करने लगे थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ( Amit Shah ) के करीबी व विश्वस्त माने जाने वाले तोमर को कुछ दिन पहले ही मध्य प्रदेश में भाजपा की रणनीति की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। मध्य प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष पद से लेकर प्रदेश में कैबिनेट स्तर के मंत्री तक की जिम्मेदारी संभाल चुके तोमर मध्य प्रदेश में बीजेपी के कद्दावर नेता हैं।
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प्रदेश में ‘जय और वीरू’ के नाम से चर्चित शिवराज सिंह चाैहान ( Shivraj Singh Chauhan ) तोमर की जोड़ी ने 2013 में 165 सीटें जितवाकर बीजेपी को तीसरी बार सत्ता में काबिज करवाई थी। इस कमलनाथ सरकार के गिराने में भी इस जोड़ी की भूूमिका अहम मानी जा रही है।

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