
विकास के मुद्दे पर सत्ता मिली, फिर अब राष्ट्रवाद क्यों?
नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह और राजनाथ सिंह तक सभी भाजपा नेता लोकसभा चुनाव 2019 के लिए चुनाव प्रचार करने के दौरान विकास के मुद्दों के बजाय राष्ट्रवाद के मुद्दों पर ही वायदे करने और आश्वासन देते नजर आ रहे हैं। राजनीति की दुनिया हो या खेल जगत, अकसर यह माना जाता है कि विनिंग कंबीनेशन को कोई टीम बदलना नहीं चाहती। ऐसे में क्या यह बात आश्चर्यजनक नहीं लगती कि 2014 के लोकसभा चुनाव में विकास के मुद्दे पर प्रचंड बहुमत हासिल करने वाली भाजपा ने इस मुद्दे को 2019 अचानक तिलांजिल क्यों दे दी है।
विकास के मुद्दे पर विफल रही मोदी सरकार!
भाजपा ने 2014 में विकास पर आधारित अपने चुनाव घोषणापत्र में रोज़गार, महंगाई, भ्रष्टाचार और कालेधन पर प्रमुखता से वायदे किए थे। पिछले पांच साल में रोजगार देने में वह विफल रही। बताया जाता है कि पिछले 45 साल में सबसे ज्यादा बेरोजगारी पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में ही है। महंगाई अपने चरम पर है। विपक्ष खुद पीएम पर ही रफाल मामले में भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगा रहा है। नोटबंदी के बावजूद कालेधन पर रोक लगाने में मोदी सरकार के हाथ कोई सफलता नहीं लगी।
2019 में विकास की जगह धारा 370 और राष्ट्रीय सुरक्षा ने ली
लोकसभा चुनाव 2019 के लिए चुनाव प्रचार में भाजपा नेताओं का फोकस केवल आतंकवाद, राष्ट्रीय सुरक्षा, धारा 370, 35ए और कांग्रेस व क्षेत्रीय दलों पर लगातार हमले करना है। आखिर सैनिक कल्याण जैसे मुद्दों को भाजपा ने क्यों भुला दिया।
Published on:
30 Apr 2019 07:56 am
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