
नई दिल्ली। राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण ( NRC ) और नागरिकता संशोधन कानून ( CAA ) को लेकर देश भर में विपक्ष का जोरदार प्रदर्शन जारी है। बहुत हद तक विपक्ष को इस काम में सफलती भी मिली है। विपक्ष के इस आक्रामक मूड को देखते हुए माेेदी सरकार को भी इस मुद्दे पर सफाई देने के लिए मजबूर हुई है।
गृह मंत्री अमित शाह ( home minister amit shah ) कहते हैं कि दुनिया में कोई ऐसा देश नहीं है जहां कोई भी जाकर बस सकता है। देश के नागरिकों का रजिस्टर होना चाहिए। यह समय की जरूरत है। हमने अपने चुनावी घोषणा पत्र में देश की जनता से वादा किया है।
उन्होंने कहा कि न केवल असम बल्कि देश भर के अंदर हम एनआरसी लेकर आएंगे। NRC के अलावा देश में जो भी लोग हैं उन्हें कानूनी प्रक्रिया के तहत बाहर किया जाएगा।
दूसरी तरफ नागरिकता संशोधन कानून ( CAA ) और राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण ( NRC ) के मसले पर देश भर में हिंसा के बाद सरकार की ओर से जनता से बहकावे में न आने की अपील की गई है। इतना ही नहीं सीएए और एनआरसी पर उठते सवालों का जवाब देकर सरकार ने शंकाओं का समाधान करने की कोशिश की है।
सरकार ने कहा है कि अभी राष्ट्रीय स्तर के लिए एनआरसी जैसी प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। सरकार ने यह भी बताया है कि एनआरसी में मुस्लिमों से किसी से भी भारतीय होने का सबूत नहीं मांगा जाएगा। बस कोई पहचान पत्र दिखाना होगा।
एनआरसी ( NRC ) को आप एक प्रकार से आधार कार्ड या किसी दूसरे पहचान पत्र जैसी प्रक्रिया समझ सकते हैं। नागरिकता के रजिस्टर में अपना नाम दर्ज कराने के लिए आपको अपना कोई भी पहचान पत्र या अन्य दस्तावेज देना होगा, जैसा कि आप आधार कार्ड या मतदाता सूची के लिए देते हैं।
इस मामले में अधिकारी उस व्यक्ति को गवाह लाने की इजाजत देंगे। साथ ही अन्य सबूतों और कम्युनिटी वेरीफिकेशन (गांव-मुहल्ले के लोगों से पहचान) आदि की भी अनुमति देंगे। एक उचित प्रक्रिया का पालन किया जाएगा। किसी भी भारतीय नागरिक को अनुचित परेशानी में नहीं डाला जाएगा।
Updated on:
20 Dec 2019 11:05 am
Published on:
20 Dec 2019 08:26 am
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