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हरियाणा चुनाव: कांग्रेस-बसपा गठबंधन से बीजेपी पर मंडराया दलित वोट खिसकने का खतरा

विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी पारा चरम पर कांग्रेस-बसपा गठबंधन से भाजपा की बढ़ी सिरदर्दी भाजपा को सबसे ज्‍यादा राम रहीम के भक्‍तों की चिंता

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नई दिल्‍ली। अक्‍टूबर, 2019 में हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Election ) को लेकर राजनीति चरम पर है। दूसरी तरफ कांग्रेस और बसपा के बीच चुनावी गठबंधन का संकेत मिलने से बीजेपी की सिरदर्दी बढ़ गई है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आगामी हरियाणा चुनाव में कांग्रेस (Congress) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) एक साथ बीजेपी (BJP) को चुनौती देने की तैयारी में हैं।

बातचीत अंतिम चरण में

जानकारी के मुताबिक विधानसभा चुनाव साथ मिलने को लेकर दोनों दलों के बीच बातचीत भी शुरू हो गई है। बीजेपी को मात देने को लेकर गठबंधन की पहल कांग्रेस की ओर से हुई है। दिल्‍ली में बसपा प्रमुख मायावती और हरियाणा प्रदेश कांग्रेस की नवनियुक्त अध्यक्ष कुमारी शैलजा (Kumari Shailja) और सीएलपी प्रमुख भूपेंद्र सिंह हुडने बीएसपी सुप्रीमो मायावती (Mayawati) से मुलाकात की है।

बताया जा रहा है कि दोनों दलों के नेताओं के बीच विभिन्‍न मुद्दों पर बातचीत हुई है। सीटों के बंटवारे को लेकर भी पहले चरण की बातचीत हुई है।

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दलित वोट साधने की कोशिश

अब हरियाणा में बीजेपी के लिए दलित वोट एक चिंता का विषय है। बीजेपी की चिंता इस बात को लेकर भी है कि चुनाव के दौरान राम रहीम के खिलाफ खट्टर सरकार के फैसले भी परेशानी का सबब बन सकते हैं। क्योंकि राम रहीम के ज्यादातर फॉलोअर दलित ही हैं। ऐसे में कांग्रेस की कोशिश है कि मायावती को अपने साथ लाकर दलित वोट बैंक को साधा जाए।

हरियाणा की बदलती राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए बीजेपी की कोशिश नॉन जाट वोट बैंक को अपने तरफ करने पर है। फिलहाल जाटों का वोट हुड्डा, आईएनएलडी और दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी के बीच बंटा हुआ है। कांग्रेस की रणनीति दलित वोट को साधने की है। हुड्डा की पकड़ जाट वोट पर है। मायावती के आने से दलित वोट बैंक पर भी असर पड़ेगा।

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पहले जेजेपी से था बसपा का गठबंधन

बता दें कि हरियाणा में बीएसपी का दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) से गठबंधन था। कुछ ही दिन पहले मायावती ने अपना गठबंधन जेजेपी से खत्म कर लिया। 6 सितंबर, 2019 को ट्वीटर पर इसका ऐलान करते हुए मायावती ने लिखा था कि बीएसपी एक राष्ट्रीय पार्टी है। सीट बंटवारे में जेजेपी का रवैया ठीक नहीं था। इसलिए स्थानीय नेताओं के सुझाव पर गठबंधन खत्म करने का फैसला लिया।

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