Jammu-Kashmir: शांति भंग को देखते हुए धारा 144 लागू
अलर्ट मोड पर सेना, सतर्कता एजेंसियां और स्थानीय पुलिस
सुरक्षा कर्मियों को हर स्थिति से निपटने का आदेश
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में खुफिया सूचना के आधार पर अतिरिक्त सैन्य बलों की तैनाती से माहौल नाजुक है। सोमवार को इस मुद्दे को लेकर मोदी कैबिनेट की बैठक चल रही है। कयास लगाए जा रहे हैं कि बैठक में विवादित धारा 35ए को हटाने का मोदी सरकार निर्णय ले सकती है।
ऐसे में सवाल यह है कि अगर धारा 35ए को हटाने का निर्णय मोदी सरकार लेती है तो जम्मू-कश्मीर में क्या होगा। नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपीडी, पीपल्स कॉन्फ्रेंस व अन्य राजनीतिक दलों नेताओं के बयानों से साफ है कि ऐसा होने वर वहां अराजकता की स्थिति पैदा हो सकती है।
शांति भंग की आशंका क्यों ऐसा इसलिए धारा 35ए जम्मू-कश्मीर विधानसभा को राज्य में स्थायी निवास और विशेषाधिकारों को तय करने का अधिकार देती है। धारा 35-ए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लगाई याचिका को लेकर पिछले दिनों फारुख अब्दुल्ला ने अपने घर पर विपक्षी पार्टियों की एक मीटिंग भी बुलाई थी।
इस मीटिंग के बाद तथ्य सामने आया कि धारा 35ए हटाने पर एक बड़ा जनविद्रोह पैदा हो जाएगा। याद दिलाया गया कि जब 2008 में अमरनाथ भूमि मामला सामने आया था, तो लोग रातोरात उठ खड़े हुए थे।
तो मोदी सरकार आज जम्मू-कश्मीर से 35ए हटाने का ले सकती है अंतिम फैसला?एक देश में दो प्रधानमंत्री की वकालत रविवार को सर्वदलीय बैठक के बाद सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता फारूक अब्दुल्ला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि कश्मीर में इस वक्त बुरा हाल है। राज्य में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था।
आज तक अमरनाथ यात्रा नहीं रोकी गई थी। कश्मीर में फोर्स की तैनाती से भय का माहौल बना हुआ है। घाटी के लोग घबराए हुए हैं। लोग शांति और सब्र बनाए रखें। जल्द ही सब ठीक होगा।
लेकिन कुछ महीने पहले यही फारूख अब्दुल्ला ने एक देश में दो प्रधानमंत्री की वकालत की थी। इतना ही नहीं उन्होंने केंद्र सरकार से चेतावनी भरे लहजे में कहा था कि 35ए को हटाने की स्थिति में जम्मू-कश्मीर भी भारत का अभिन्न हिस्सा नहीं रहेगा।
जम्मू-कश्मीर में तीन दिन पहले अतिरिक्त सैन्य बलों की तैनाती के बाद पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि अगर विशेष दर्जे को बदलना की सोच रही तो वो ऐसा न करे।
ऐसा करना बारूद के ढेर से खेलने के समान होगा। उन्होंने कहा था कि घाटी के लोग सरकार के खिलाफ उठ खड़े होंगे। लेकिन रविवार को सर्वदलीय बैठक के बाद उनके बयान सुर भी नरम दिखीं।
उन्होंने कहा कि कश्मीर के हालातों पर चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि तीन दिन से कश्मीर में क्या हो रहा है, इसको लेकर कोई जवाब देने वाला नहीं है। कश्मीर में घबराहट का माहौल है।