नई दिल्ली। धारा-370 के मुद्दे पर सोमवार को जम्मू-कश्मीर के लाल चौक से संसद भवन तक सियासी जंग जारी रहा। अब यही मंगलवार को लोकसभा में भी बहस का बड़ा मुद्दा बनेगा। इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने धारा 370 की समाप्ति के साथ राज्यसभा में सभी सांसदों को इस बात की जानकारी दी कि आर्टिकल 35ए भी समाप्त हो गया।
बता दें कि 1954 में तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के आदेश पर धारा-370 से जोड़कर 35ए को लागू कर दिया गया था। अब आर्टिकल 35ए को खत्म करना केंद्र सरकार के लिए चुनौती भरा साबित हो सकता है।
ऐसा इसलिए कि 35ए की बात कर पाकिस्तान सरकार जम्मू-कश्मीर के लोगों को नए सिरे से बरगलाने का काम कर सकती है। ऐसा इसलिए कि मोदी सरकार द्वारा धारा 370 और 35ए को समाप्त करने से पाकिस्तान सरकार की भारत विरोधी मुहिम को बड़ा झटका लगा है।
अब पाक सरकार के लिए जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं को जारी रखना आसान नहीं होगा। दूसरी तरफ ये फैसला भारतीय जनता पार्टी के लिए राजनीतिक तौर पर फायदेमंद साबित होगा। अब क्या होगा?
1. देश का कोई भी भारतीय नागरिक जम्मू-कश्मीर में ज़मीन खरीद पाएगा। 2. देश के किसी भी कोने का बेरोजगार युवा देश के इस राज्य में सरकारी नौकरियों के अवसरों का लाभ उठा पाएगा। 3. उच्च शिक्षा संस्थानों में किसी भी प्रदेश के छात्र दाखिला ले पाएंगे। 4. महिला और पुरुषों के बीच अधिकारों को लेकर भेदभाव अब खत्म होगा। 5. अब कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में जाकर बस सकता है। 6. आजादी के समय विभाजन के बाद पश्चिम पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को वोटिंग का अधिकार मिलेगा। 7. जम्मू-कश्मीर का देश के अन्य हिस्सों का अलगाव का दौर समाप्त होगा।
क्या हैं अनुच्छेद 370 के मायने धारा-370 के प्रावधानों के अनुसार देश की संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में केवल रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है।
किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर सरकार से अनुमोदन मिले बगैर लागू नहीं करा सकती है। विशेष दर्जे के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती। यानि जम्मू -कश्मीगर में अन्य् राज्यों की तरह राष्ट्रपति शासन नहीं लगाया जा सकता है।
देश के राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है। इतना ही नहीं 1976 का शहरी भूमि कानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता। चर्चा में क्यों है 35ए दरअसल, 35। से जम्मू-कश्मीर राज्य के लिए स्थायी नागरिकता के नियम और नागरिकों के अधिकार तय होते हैं। 14 मई 1954 के पहले जो कश्मीर में बस गए थे उन्हींग को वहां का स्थायी निवासी माना जाएगा।
35ए के तहत जो व्यजक्ति जम्मू और कश्मीर का स्थायी निवासी नहीं है, वो राज्य में सम्पत्ति नहीं खरीद सकता। सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन नहीं कर सकता। सरकारी विश्विद्यालयों में दाखिला नहीं ले सकता, न ही राज्य सरकार द्वारा कोई वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकता है। किसी तरह की सरकारी सहायता और वजीफा हासिल नहीं कर सकता है।
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