2019 में भाजपा का होगा बेहतर प्रदर्शन
वहीं निकाय चुनावों में मिली हार के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गठबंधन सरकार पर ठीकरा फोड़ा है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी.एस. येदियुरप्पा ने हार के लिए सत्तारूढ़ जनता दल (सेकुलर) और कांग्रेस के गठबंधन को जिम्मेदार ठहराया। येदियुरप्पा ने कहा कि इस चुनाव में भाजपा को और सीटें जीतनी चाहिए थीं, लेकिन कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन के कारण हम मनचाहे और बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सके। उन्होंने कहा, “हालांकि पार्टी 2019 लोकसभा चुनाव में बहुमत लाने के लिए आश्वस्त है।” उन्होंने कहा, “जनादेश भाजपा के साथ है और हम अगले साल होने वाले आम चुनाव के लिए आश्वस्त हैं।”
मुख्यमंत्री ने शहरी वोटर को दिया धन्यवाद
वहीं निकाय चुनाव में गठबंधन को जीत मिलने के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमार स्वामी ने कहा कि अमूमन शहरी लोग भाजपा को वोट करते थे। लेकिन इस बार शहरी लोगों ने खुलकर गठबंधन का साथ दिया है। जिससे हमें जीत मिली है। शहरी वोटरों के चलते गठबंधन ने अच्छा प्रदर्शन किया।
भाजपा का रहा सामान्य प्रदर्शन
विपक्षी भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) ने 929 सीटें जीती हैं और तटीय उडुपी और दक्षिण कन्नड़ समेत सात जिलों में बहुमत हासिल किया है। पूरे 22 जिलों में स्वतंत्र उम्मीदवारों ने कुल 329 सीटें जीती हैं, वहीं अन्य क्षेत्रीय संगठनों ने अन्य 34 सीटें जीती हैं। निकाय चुनाव के नतीजे दिखाते हैं कि भाजपा ने तटीय जिलों के अपने पारंपरिक गढ़ में अच्छा प्रदर्शन किया है, जबकि कांग्रेस ने उत्तरी जिलों में अपनी बादशाहत कायम रखी है। राज्य के उत्तरी क्षेत्र के विजयपुरा जिले में कुल 23 सीटों में से कांग्रेस और भाजपा दोनों ने आठ-आठ सीटों पर कब्जा किया है, वहीं जद(एस) ने दो सीटें तो निर्दलीयों ने पांच सीटों पर कब्जा किया है।
31 अगस्त को हुआ था चुनाव
जद(एस) के एक पदाधिकारी ने कहा था, “अगर कोई पार्टी खुद के दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाएगी तो, कांग्रेस और जद (एस) ने निर्णय लिया है कि वे भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए चुनाव बाद गठबंधन करेंगे, जैसा 12 मई को राज्य विधानसभा के चुनाव में किया गया था।” निकाय चुनावों के लिए राज्य में 67.5 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान किया था। भारी बारिश और बाढ़ के चलते कोडागु जिले की 45 सीटों पर चुनाव रद्द कर दिया गया था। साल 2013 में 4,976 सीटों पर शहरी निकाय चुनाव हुए थे। कांग्रेस ने 1,960 सीटें जीती थीं, जबकि भाजपा और जद(एस) ने अलग-अलग 905 सीटें जीती थीं और निर्दलियों ने 1,206 सीटें जीती थीं।