. हरियाणा: महंगे शौक ने बनाया चोर, पकड़े जाने पर निकले पुलिसकर्मी के बेटे
त्रिशंकु विधानसभा के संकेत
वहीं, कर्नाटक चुनाव को लेकर जो एग्जिट पोल सामने आए है, वह त्रिशंकु विधानसभा की ओर संकेत दे रहे है। बता दें कि त्रिशंकु विधानसभा में जेडीएस का रोल काफी अहम माना जा रहा है। अगर जेडीएस जीत का स्वाद चख्ती है तो यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि वह किसके समर्थन से सरकार बनाती है। लेकिन ऐसे कयास लगाए जा रहे है कि जेडीएस का बीजेपी से ज्यादा कांग्रेस खेमे में जाना आसान होगा।
कांग्रेस ने खेला बीजेपी से पहले दाव
अगर आप पीछे हुए विधानसभा चुनाव को देखे तो हर बार कांग्रेस दाव खेलने में बीजेपी से पीछे ही रही है। चाहे गोवा चुनाव की बात करें या नागालैंड कि दोनों में बीजेपी अल्पमत होते हुए भी सरकार बनाने में कामयाब रही थी। इसके पीछे की वजह बीजेपी का वहां की स्थानीय पार्टी से पहले से तालमेल बैठाना है,जो कांग्रेस नहीं कर पाती। लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। इस बार कांग्रेस पूरी तैयारी के साथ दिख रही है। इसी का नतीजा है कि कांग्रेस पार्टी के दो बड़े नेता गुलाम नबी आजाद और अशोक गहलोत संभावित गठबंधन पर बात के लिए सोमवार को ही बेंगलुरु पहुंचे थें। कांग्रेस इस बार पहले दांव चलने में कामयाब रही है।
भाई-बहन से पहले मांगे 100 रुपए नहीं दिए तो लूटे 20 हजार
कांग्रेस का दलित कार्ड
कांग्रेस ने दलित कार्ट भी खेल दिया है। बीते रविवार को ही मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने ऐलान कर दिया कि अगर पार्टी दलित मुख्यमंत्री चुनती है तो वह अपनी दावेदारी छोड़ सकते हैं। वहीं, जेडीएस के प्रवक्ता ने भी इस प्रस्ताव को अच्छा बताया था।
कांग्रेस और जेडीएस की नजदीकी
कार्नाटक चुनाव प्रचार के समय भले ही कांग्रेस और जेडीएस के बीच जमकर बायान बाजी हुई हो, तल्खी भरे तीर चले हो। लेकिन दोनों ही पार्टिया स्वाभाविक रूप से एक साथ नजर आती है। क्योंकि 1999 में जेडीएस की स्थापना एचडी देवगौड़ा ने की थी। जनता दल की जड़ें 1977 में कांग्रेस के खिलाफ बनी जनता पार्टी से शुरू हुई थी। बता दें कि जनता दल से अलग होकर जेडीएस बना था। वहीं, कर्नाटक में जनता दल की कमान देवगौड़ा के हाथों में थी। उन्हीं के नेतृत्व में जनता दल ने 1994 में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई और देवगौड़ा मुख्यमंत्री बने।
देवगौड़ा की सियासत
मुख्यमंत्री बनने के दो साल के बाद 1996 में जनता दल के नेता के रूप में कांग्रेस के समर्थन से एचडी देवगौड़ा 10 महीने तक देश के प्रधानमंत्री बने रहे। वहीं, इससे पहले की बात करें तो 1953 में देवगौड़ा ने अपनी राजनीति की शुरुआत भी कांग्रेस नेता के रूप में ही की थी।