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बीजेपी से संबंधों पर बोले मोहन भागवत, ‘देश संविधान से ही चलेगा, सरकार पर हमारा नियंत्रण नहीं’

दिल्ली के विज्ञान भवन में संघ का तीन दिवसीय कार्यक्रम चल रहा है, जिसमें दुनिया भर से पांच से छह हजार लोगों को बुलाया गया है।

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Kapil Tiwari

Sep 18, 2018

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नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित आरएसएस के तीन दिवसीय कार्यक्रम का आज दूसरा दिन था। मंगलवार को भी संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कार्यक्रम में आए मेहमानों को संबोधित किया। पहले दिन की तरह दूसरे दिन भी मोहन भागवत ने संघ को लेकर फैल रही भ्रांतियों को दूर किया। 'भविष्य का भारत' नाम से आयोजित व्याख्यान श्रृंखला के दूसरे दिन मोहन भागवत ने कहा कि अक्सर हम पर ये आरोप लगते रहते हैं कि हमारा सरकार पर नियंत्रण रहता है, लेकिन ये गलत है ऐसा नहीं है, आरएसएस सरकार को नियंत्रित नहीं करता है। मोहन भागवत ने कहा कि देश संविधान द्वारा तय की गई व्यवस्था से ही चल रहा है और आगे भी उसे सी चलेगा।

बीजेपी की राजनीतिक पर हमारा कोई प्रभाव नहीं है- मोहन भागवत

सरकार से संघ के संबंधो पर बोलते हुए मोहन भागवत ने कहा कि जब भी उनको (भाजपा सरकार) सलाह चाहिए होती है तो वो पूछते हैं, अगर हम दे सकते हैं तो हम दे देते हैं, लेकिन उनकी राजनीति पर हमारा कोई प्रभाव नहीं है। भागवत ने कहा कि सरकार की नीतियों पर हमारा कोई प्रभाव नहीं है, वो अपने कार्यक्षेत्र में समर्थ हैं।

देश संविधान के अनुसार ही चलेगा- मोहन भागवत

आपको बता दें कि संघ पर हमेशा ये आरोप लगते रहते हैं कि उसका सरकार पर कहीं ना कहीं नियंत्रण रहता है। ऐसे ही आरोपों का जवाब देते हुए मोहन भागवत ने आगे कहा कि ये पूरी तरह गलत है कि नागपुर से फोन आते हैं और सरकार में बैठे लोगों को निर्देश दिए जाते हैं। भारत में शक्ति-केंद्र भारत का संविधान है, उसके अलावा कुछ नहीं। उन्होंने कहा कि संघ का काम संविधान के आधार पर ही चलता है। ऐसा एक भी उदाहरण नहीं है जब संघ ने संविधान कुछ किया हो।

'विपक्षी सोचें कि आखिर संघ के स्वंयसेवक भाजपा को ही क्यों चुनते हैं'

संघ और बीजेपी के बीच रिश्ते को लेकर मोहन भागवत कहा कि दूसरे राजनीतिक दलों को इस बारे में सोचना चाहिए कि आखिर संघ के स्वंयसेवक क्यों भाजपा में ही शामिल होते हैं। इस दौरान उन्होंने ये संकेत दिेए कि संघ का संबंध सिर्फ बीजेपी से नहीं है। आपको बता दें कि इससे पहले उन्होंने सोमवार को व्याख्यान के पहले दिन भी स्वतंत्रता आंदोलन में कांग्रेस की भूमिका की सराहना करते हुए कहा था कि संघ 'युक्त भारत' में विश्वास रखता है, 'मु्क्त भारत' में नहीं।