
नमो 2.0 का असरः नाराज JDU कभी नहीं होगा NDA कैबिनेट में शामिल
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में जीत के बाद एनडीए में सबकुछ अच्छा होने के बाद अब सियासी कोहराम के संकेत मिल रहे हैं। पीएम मोदी कैबिनेट के शपथ ग्रहण के दिन से ही नमो 2.0 के खिलाफ असंतोष के स्वर मुखर होने लगे हैं। यह असंतोष कैबिनेट गठन के तौर-तरीकों को लेकर है। इस मुद्दे पर जेडीयू के सख्त रवैये नेे पीएम मोदी के 'सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास' नारे पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ऊपर से जेडीयू नेता केसी त्यागी के ताजा बयान ने इस संकट के और ज्यादा गहराने के संकेत दे दिए हैं।
जेडीयू का अंतिम फैसला
शपथ ग्रहण के 3 दिन बाद जेडीयू के प्रवक्ता केसी त्यागी ने बयान देकर इस मुद्दे को और गरमा दिया है। उन्होंने अपने बयान में कहा है कि जो प्रस्ताव दिया गया था वह जेडीयू के लिए अस्वीकार्य था। इसलिए हमने फैसला लिया है कि भविष्य में भी जेडीयू कभी एनडीए के नेतृत्व वाले कैबिनेट में शामिल नहीं होगा। उन्होंने कहा कि यह जेडीयू का अंतिम निर्णय है।
3 दिन पहले नीतीश ने दे दिए थे संकेत
दरअसल, मोदी कैबिनेट के गठन को लेकर भाजपा ने इस बार एनडीए के सहयोगी दलों को कैबिनेट में सांकेतिक भागीदारी का प्रस्ताव दिया था। इस प्रस्ताव को शिवसेना, अकाली दल, लोजपा और आरपीआई ने स्वीकार कर लिया, लेकिन जेडीयू प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को यह प्रस्ताव रास नहीं आया। इस बात के संकेत शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे नीतीश कुमार की ओर से मीडिया को जारी बयान से मिल गए थे। अब उसी बयान को लेकर एनडीए कुनबे में सियासी कोहराम मचा है।
यह है नीतीश कुमार का बयान
मोदी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह से कुछ देर पहले बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने चौंकाने वाला बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि भाजपा की ओर से सांकेतिक रूप से मंत्रिमंडल में शामिल होने का प्रस्ताव दिया गया था। जेडीयू ने इस मामले में आनुपातिक प्रतिनिधित्व का विचार भाजपा नेतृत्व के सामने रखा। लेकिन इस पर बात नहीं बनी। इसलिए जेडीयू इस बार मोदी कैबिनेट का हिस्सा नहीं रहेगा। मंत्रिमंडल में सांकेतिक भागीदारी को कोई मतलब नहीं होता है। हालांकि हमारी पार्टी भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में बनी रहेगी।
भाजपा का प्रस्ताव
लोकसभा चुनाव 2019 में प्रचंड बहुमत से जीत कर सत्ता में वापसी करने वाली भाजपा ने कैबिनेट गठन को लेकर इस बार अलग रुख अपनाया। खुद के दम पर बहुमत होने का लाभ उठाते हुए भाजपा ने एनडीए सहयोगियों को मंत्रिमंडल में सांकेतिक सहभागिता का प्रस्ताव दिया था। इस प्रस्ताव के तहत एनडीए में शामिल सहयोगी दलों के एक-एक मंत्रियों को कैबिनेट में शामिल करने का प्रस्ताव था। इस प्रस्ताव के तहत जेडीयू को कैबिनेट में एक मंत्री पद दिया जा रहा था, जिसे स्वीकार करने से नीतीश कुमार ने इनकार कर दिया।
बिहार में नीतीश ने चलाई अपनी मर्जी
मोदी कैबिनेट में आनुपातिक प्रतिनिधित्व न मिलने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को अपनी कैबिनेट का विस्तार किया। नीतीश कुमार ने अपने मंत्रिमंडल में नरेंद्र नारायण यादव, अशोक चौधरी, श्याम रजक, बीमा भारती, राम सेवक सिंह, एल प्रसाद, संजय झा और नीरज कुमार को शामिल किया है। इसमें जेडीयू के सहयोगी दल भाजपा को शामिल नहीं किया गया है। हालांकि भाजपा के कोटे का एक पद खाली पड़ा है, लेकिन उसके बाद भी उसके एक भी मंत्री को शामिल नहीं किया गया। शपथ ग्रहण के बाद सीएम नीतीश कुमार ने मीडिया को बताया कि कैबिनेट में जेडीयू का कोटा खाली था जो मंत्रिमंडल विस्तार के साथ पूरा हो गया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा के साथ कोई विवाद नहीं है। सबकुछ ठीक है।
Updated on:
03 Jun 2019 12:50 pm
Published on:
02 Jun 2019 02:25 pm
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