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पीडीपी में टूट की आशंका, कांग्रेस और नेकां में शामिल हो सकते हैं पार्टी के कई विधायक

जम्‍मू और कश्‍मीर में सत्‍ता गंवाने के बाद अब पीडीपी प्रमुख के सामने पार्टी को बचाने की चुनौती है।

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Dhirendra Kumar Mishra

Jun 22, 2018

pdp

पीडीपी में टूट की आशंका, कांग्रेस और नेकां में शामिल हो सकते हैं पार्टी के कई विधायक

नई दिल्‍ली। जम्मू और कश्मीर में गठबंधन सरकार गिरने के बाद से महबूबा मुफ्ती के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी को टूटने से बचाने की है। बताया जा रहा है कि पीडीपी में टूट की आशंका है। पार्टी के कई विधायकों को महबूबा के गिरते ग्राफ को देखते हुए अपने राजनीतिक करिअर की चिंता सताने लगी है। इसलिए महबूबा से नाराज विधायक अब कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के संपर्क में हैं। आपको बता दें कि कांग्रेस और नेकां के कई पूर्व विधायक 2014 से पहले पीडीपी में शामिल हुए थे। अब वही विधायक घर वापसी करना चाहते हैं।

मुफ्ती सईद ने पार्टी से जोड़ा था
पूर्व मुख्यमंत्री और मेहबूबा के पिता स्वर्गीय मुफ्ती मोहम्मद सईद के विजन और उनकी प्रशासनिक कुशलता के कारण कश्मीर और जम्मू के डोडा, पुंछ क्षेत्र के कई नेताओं ने पीडीपी का हाथ थामा था। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक पीडीपी की घाटी में भी अब खास प्रभाव नहीं है। वर्ष 2016 में पीडीपी के श्रीनगर की संसदीय सीट खोने के बाद से ही पत्थरबाजी और आतंकी घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। दो साल से जारी पत्‍थरबाजी की घटनाएं दो साल बाद भी नहीं रुकी है।

विधायकों को एकजुट रखने की चुनौती
कुछ महीने पहले मंत्रिमंडल फेरबदल में महबूबा मुफ्ती ने कश्मीर में अपनी साख बचाने के लिए पूर्व वित्त मंत्री डॉ. सीब द्राबू को हटा दिया और पहले उनके विरोधी रहे अल्ताफ बुखारी को पदभार सौंप दिया। दूसरी ओर कई विधायक इसलिए भी पार्टी के साथ थे क्योंकि सरकार चल रही थी। अचानक सरकार टूटने के बाद विधायकों ने गुपचुप तरीके से कांग्रेस और नेकां से संपर्क साधना शुरू कर दिया है। जबकि महबूबा मुफ्ती अपने विधायकों को एकजुट रखना चाहती हैं। लेकिन सत्‍ता से बेदखल होने के बाद उनके लिए यह काम चुनौती भरा हो गया है। फिलहाल अभी कोई विधायक अपने पद से हाथ नहीं धोना चाहता, लेकिन भविष्य के लिए अपने राजनीतिक समीकरण सेट करने के लिए सही अवसर की तलाश में जरूर जुटे हैं।