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रमेश बाबू : आंध्र की जीवन रेखा है पोलावरम परियोजना, इसे रोकना राज्‍य के लिए अहितकारी

आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्राबाबू नायडू जल्‍द से जल्‍द इस परियोजना पर काम शुरू करना चाहते है।

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Dhirendra Kumar Mishra

May 29, 2018

नई दिल्‍ली। आंध्र प्रदेश के मुख्‍य इंजीनियर रमेश बाबू का कहना है कि पोलाववरम सिंचाई परियोजना को आंध्र प्रदेश की जीवन रेखा माना जाता है। इस परियोजना पर विलंब से आंध्र प्रदेश की अर्थव्‍यवस्‍था को झटका लगेगा और किसानों का अहित होगा। इस परियोजना को शुरू करने में सबसे बड़ी बाधा पुनर्वास की उभरकर सामने आई है। पुनर्वास अधिनियम 2013 की तहत 271 गांवों के 98,000 परिवारों का पुनर्वास होना है। अभी तक केवल 3,000 परिवारों का पुनर्वास हो पाया है।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के विशेषज्ञों की टीम ने पोलावरम बहुउद्देश्‍यीय सिंचाई परियोजना की समीक्षा रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट जारी होने के बाद से इस परियोजना पर संकट के बदल छाने लगे हैं। वर्तमान में यह रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय में विचाराधीन है। इसके बाद ही इस परियोजना के भाग्‍य का फैसला हो सकता है। मुख्‍यमंत्री चंद्राबाबू नायडू 2019 में होने वाले चुनाव को देखते हुए इसे जल्‍द पूरा करना चाहते हैं। विशेषज्ञों की टीम का मानना है कि किसी भी मानक के हिसाब से राज्‍य सरकार द्वारा इस परियोजना का निष्‍पादन सही और सुरक्षित नहीं है। पोलावरम परियोजना के बारे में आंध्र प्रदेश सरकार का दावा है कि यह राज्‍य के लिए जीवन रेखा है। इस परियोजना को आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2014 के तहत राष्‍ट्रीय परियोजना घोषित किया गया है।