
रिपोर्ट: महिला विधायकों ने विकास कार्य में पुरुष नेताओं को छोड़ा पीछे, तेजी से काम कराने में भी रही अव्वल
नई दिल्ली। आम तौर पर लोगों के मन में महिला नेताओं को लेकर सॉफ्ट कॉर्नर रहता है। आमधारणा है कि घर के कामकाज और सामाजिक बंधनों में बंधी होने के चलते महिला जनप्रतिनिधि विकास कार्यों में अपेक्षानुसार ध्यान नहीं दे पातीं।यही कारण है देश में महिला जनप्रतिनिधियों का अनुपात अभी भी काफी कम हैं। लेकिन इस बीच महिला जनप्रतिनिधियों को लेकर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। हाल ही में हुई एक स्टडी में पता चला है कि निर्वाचित महिलाएं विकास कार्य को लेकर पुरुषों से अधिक समर्पित रहती हैं।
देश में नौ प्रतिशत महिला जनप्रतिनिधि
दरअसल, शोधकर्ताओं की एक टीम ने 1990 से 2012 के बीच भारत की 4,265 विधानसभा सीटों का सर्वे किया। दरअसल, यह वह दौर था, जिसमें तेजी के साथ विकास और आर्थिक प्रगति की बात कही जाती है। यहां चौंकाने वाली बात इस समय राज्यों में सबसे अधिक महिलाओं को विधानसभाओं में चुनकर भेजा गया था। मौजूदा समय में भारत में लोकसभा और विधानसभा की लगभग 5000 सीटों पर करीब 400 से अधिक महिलाएं निर्वाचित हैं। इस हिसाब से देश में करीब 9 प्रतिशत महिला जनप्रतिनिधि हैं। जबकि दुनिया में यह आंकड़ा 19 प्रतिशत है।
रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के सामाजिक निर्णय में भूमिका उस 1993 के उस फैसले के बाद और अधिक बढ़ी है, जिसमें देश के नगर निकायों और पंचायतों में उनका कोटा निर्धारित किया गया था। हालांकि पार्लियामेंट और असेंबली में महिलाओं को एक-तिहाई कोटा देने वाला बिल पिछले आठ सालों से लंबित पड़ा है। अपने शोध में शोधकर्ताओं की टीम को मिला कि महिला जनप्रतिनिधियों ने अपने क्षेत्रों में करीब दो फीसदी की दर से आर्थिक सुधार का काम किया। इसके अलावा 40 अरब डॉलर की बजट वाली सड़क परियोजना में महिला नेताओं ने पुरुषों के बराबर ही सड़कों के अनुबंध प्राप्त किए।यहां गौर करने वाली बात यह है कि जहां-जहां महिला विधायक थीं, वहां-वहां सड़क निर्माण काम जल्दी निपटाया गया।
Published on:
11 Jun 2018 09:37 pm
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