
राजद नेता तेजस्वी यादव
नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 ( bihar assembly election ) में राजनीति की पिच पर विरोधियों को कड़ी टक्कर दे रहे आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ( Tejashwi Yadav Birthday ) का 9 नवंबर को अपना 31वां जन्मदिन मना रहे हैं। राजनीति के धुरंधर लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने अपने दम पर राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाई है। मोदी लहर के बावजूद उन्होंने राजनीति में कदम रखा और दिग्गजों को धूल चटाई।
इस बार भी महागठबंधन ने तेजस्वी यादव को ही मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी चुना है। तेजस्वी के चेहरे के साथ आरजेडी को भी उम्मीद है कि वो बेहतर प्रदर्शन करेगी। लेकिन राजनीति के इस युवा नेता की पहली पसंद संसद के गलियारे नहीं बल्कि हरी घास वाली ग्राउंड थी। तेजस्वी यादव क्रिकेट में अपना भविष्य बनाना चाहते थे।
ईपीएल की एक टीम के साथ उन्होंने इस तरफ कदम भी बढ़ाया था, लेकिन वो सफलता नहीं मिली जिसकी उम्मीद तेजस्वी ने की थी। आईए जानते हैं तेजस्वी के जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी बातें तो शायद आप नहीं जानते होंगे।
दिल्ली की टीम में मिली जगह
तेजस्वी यादव का रुझान शुरू से ही क्रिकेट की तरफ था। वे इसी में अपना करियर भी बनाना चाहते थे। यही वजह है कि झारखंड की स्टेट क्रिकेट टीम के सदस्य के तौर पर रणजी ट्रॉफी खेल कर अपने इरादे स्पष्ट कर दिए थे। इसके बाद उन्होंने दनादन क्रिकेटर के नए फॉर्मेट में किस्मत आजमाई और 2008, 2009, 2011 और 2012 के आईपीएल में दिल्ली डेयरडेविल्स (अब दिल्ली कैपिटल्स) की टीम का हिस्सा बने।
हालांकि यहां उन्हें सफलता नहीं मिली। चार वर्षों में कभी भी तेजस्वी को ग्राउंड पर उतरने का मौका नहीं मिला। लिहाजा उन्होंने क्रिकेट को ही अलविदा कह दिया।
शादी के लिए मिले 42 हजार प्रपोजल
2016 में तेजस्वी राजनीति में अपनी अलग जगह बना चुके थे। नीतीश सरकार में बतौर उप मुख्यमंत्री पद के साथ उनके पास सड़क निर्माण विभाग भी था।
ऐसे मिले शादी के प्रस्ताव
दरअसल 2016 में ही अक्टूबर के महीने में तेजस्वी ने सड़क निर्माण संबंधी शिकायतों के लिए जनता से सीधा संवाद करना चाहा। इसके लिए उन्होंने अपना एक व्हाट्सअप नंबर जनता को दिया। लेकिन इस नंबर पर शिकायतों से ज्यादा तेजस्वी को लड़कियों ने शादी के प्रस्ताव भेज डाले।
राजद के नेताओं की मानें तो इस दौरान उन्हें 42 हजार से ज्यादा शादी के प्रस्ताव मिले थे।
मोदी लहर का मुकाबला
तेजस्वी यादव भले ही क्रिकेट की पिच पर असफल रहे हों, लेकिन विरासत में मिली राजनीति के गुण में उनमें साफ नजर आए। अपने पहले ही चुनाव में उन्होंने उस वक्त एंट्री ली जब देश में मोदी लहर चल रही थी। तेजस्वी ने इस लहर के बीच ना सिर्फ उस सीट पर जीत अर्जित की जहां से मां राबड़ी हारी थी बल्कि बीजेपी के उम्मीदवार को 91 हजार मतों से पराजित भी किया।
सिर्फ 9वीं तक पढ़ाई
9 नवंबर 1989 जन्में तेजस्वी यादव का मन पढ़ाई शुरू से नहीं लगता था। यही वजह रही कि उन्होंने पढ़ाई को ज्यादा तवज्जो भी नहीं दी। तेजस्वी और पढ़ाई का साथ सिर्फ 9वीं तक ही रहा।
Published on:
09 Nov 2020 08:52 am
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