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लॉकडाउन में पेट्रोल-डीजल की खपत थमी-सीमाएं बंद होने से पड़ा विपरीत असर

लॉकडाउन में पेट्रोल-डीजल की खपत थमी-सीमाएं बंद होने से पड़ा विपरीत असर

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लॉकडाउन में पेट्रोल-डीजल की खपत थमी-सीमाएं बंद होने से पड़ा विपरीत असर

लॉकडाउन में पेट्रोल-डीजल की खपत थमी-सीमाएं बंद होने से पड़ा विपरीत असर

प्रतापगढ़.कोरोना वायरस से देशभर में लॉकडाउन लागू होने के बाद लोगों का बाहर निकलना बहुत ज्यादा हद तक बंद हो गया है। इसका प्रभाव शहर में पेट्रोलियम व्यवसाय पर भी पड़ा है। लॉकडाउन से शहर और जिले में पेट्रोल तथा डीजल की खपत में भारी गिरावट देखने को मिली है। लॉकडाउन के पहले तक पूरे शहर व जिले में पेट्रोल और डीजल की खपत लाखों लीटर की थी जो अब हजारों तक आ गई है। पेट्रोल पम्पों की बिक्री केवल 10 प्रतिशत पर आ टिकी है। ऐसे में पेट्रोल पम्पों के सामने भी आर्थिक संकट से गुजरना भारी हो गया हैं। जिससें उबरने में इन्हें काफी समय लगेगा। गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण की शुरूआत के साथ ही लोगों व वाहनों की आवाजाही थम गई। गत 23 मार्च से समूचे देश में लॉकडाउन की घोषणा हो गई थी। इसके तहत जिल व प्रदेश की सीमाएं सीज कर दी गई। केन्द्र सरकार ने लोगों को अपने स्थान पर ही रूकने के निर्देश दिए। ऐसे में सरकार के निर्देश पर प्रदेश सहित समूचा देश थम गया हैं। प्रतापगढ़ जिले में करीब 50 से 60 पेट्रोल पंप हैं जिनमें से रोजाना करीब 1 लाख लीटर पेट्रोल और 1.30 से 2 लाख लीटर डीजल की खपत होती थी, लेकिन अब बहुत कम हो गई है।
पम्प मालिक की जुबानी
कोरोना लॉकडाउन की वजह से मार्च में भारत की ईंधन की खपत 18 प्रतिशत कम हो गई। यह एक दशक से अधिक समय में सबसे बड़ी गिरावट है। लॉकडाउन की वजह से आर्थिक गतिविधियां और आवाजाही ठप है। जगदिश पेट्रोल पम्प संचालक अविनाश पोरवाल ने बताया कि लॉक डाउन में पेट्रोल-डीजल की खपत महत 10 फीसदी रह गई। औसतन 2500 से 3000 लीटर पेट्रोल व 6000 से 7000 लीटर डीजल प्रतिदिन बिक जाता थ। उक्त बिक्री लगभग प्रतिदिन पेट्रोल की 600 व डीजल की एक हजार लीटर रह गई।

जरूरी सेवा वाले वाहनों में ही खतप हो रहा पट्रोन-डीजल
जनता कफ्र्यू और उसके बाद शुरू हुए लॉक डाउन के बाद पेट्रोल, डीजल की खपत कम हो गई हैं। सुबह 6 से 11 बजे तक ही जो लोग वाहन लेकर खरीदारी करने के लिए निकलते हैं वही वाहनों में पेट्रोल डलवा रहे हैं। दरअसल लॉक डाउन के बाद वाहनों के आवागमन पर भी पाबंदी लगा दी गई है। जिसके बाद से जरूरी सेवाओं में लगे शासकीय वाहन व इमर्जेंसी सेवाएं देने वाले कर्मचारी ही अपने वाहन से बाहर जाते हैं। इसके बाद से आम जनता द्वारा वाहनों का उपयोग नहीं किया जा रहा है। यही वजह है कि शहर के सभी पेट्रोल पंपों पर प्रतिदिन चार से छह सौ लीटर पेट्रोल की खपत हो रही है। किसानों द्वारा ही किसानी के काम के लिए जरूरत होने पर डीजल खरीदा जा रहा है। इस समय में केवल पेट्रोल पंप ही नहीं सभी व्यापारों का यही हाल है। पेट्रोल पंप इमर्जेंसी सेवाओं के अंतर्गत आते हैं, लेकिन वाहन न चलने के कारण पेट्रोल, डीजल की खपत दस से बीस प्रतिशत रह गई है।

कोरोना योद्धा से कम नहीं पेट्रोल पंप कर्मचारी
कोरोना संक्रमण के खतरे के बावजूद पेट्रोल पंप कर्मचारी लगतार अपनी सेवाएं दे रहे हैं। पेट्रोल पंपों पर इमरजेंसी सेवाएं देने वाले वाहन ही पहुंच रहे हैं। इसमें जिला चिकित्सालय के वाहन, एम्बुलेंस, पुलिस के वाहन व अन्य इमरजेंसी वाहन ही पेट्रोल पंप पर पहुंचते हैं।