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प्रयागराज

जवाहर लाल नेहरू के आनंद भवन में ही हुई थी इंदिरा गांधी की शादी, पुण्यतिथि पर जाने उनके जिंदगी के कुछ रोचक किस्से

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का आज पुण्यतिथि है। आज से ठीक 59 साल पहले यानी 27 मई 1964 को उन्होंने तीन मूर्ति भवन दिल्ली में आखिरी सांस ली। निधन के समय उनकी उम्र 75 साल थी।

प्रयागराजMay 27, 2023 / 12:30 pm

Vikash Singh

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साल 1947 में भारत के एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में स्थापना से लेकर साल 1964 यानी 17 साल तक प्रधानमंत्री पद पर रहे।

तारीख: 27 मई 1964, समय: सुबह करीब 06:30 बजे। जवाहर लाल नेहरू को पहले पैरालिसिस अटैक आया और कुछ ही देर बाद उन्हें हार्ट अटैक आया जिससे वो बेहोश होकर गिर पड़े। घबराई सी इंदिरा गांधी ने तुरंत डॉक्टर को फोन किया। थोड़ी ही देर में 3 डॉक्टर आए और नेहरू का इलाज शुरू हुआ। लेकिन, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
नेहरू का शरीर ठंडा पड़ गया था। वो कोमा में चले गए थे। दवा और दुआओं का जवाहर लाल नेहरू पर कोई असर नहीं हो रहा था। डॉक्टरों के 7:30 घंटे इलाज के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका। किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। दोपहर 2 बजे जवाहर लाल नेहरू ने अंतिम सांस ली।
जवाहर लाल नेहरू का इलाहाबाद से बेहद लगाव था और इलाहाबाद में नेहरू का जन्म होना इसकी सबसे बड़ी वजह थी। प्रयागराज के कल्चरल हेरिटेज में आपको नेहरू से इलाहाबाद से क्लोज कनेक्शन का बखूबी से पता चल जाएगा। आइए उनके यूपी के प्रयागराज के कनेक्शन के बारे में जानते हैं…
जहां बना आनंद भवन वहां पहले था बूचड़खाना, स्कूल नहीं जाते थे नेहरू


पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर साल 1889 को इलाहाबाद के मीरगंज इलाके में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने घर पर निजी शिक्षकों से प्राप्त की। नेहरू के पिता यानी मोतीलाल नेहरू ने कर्नलगंज इलाके में एक मकान खरीदा।

कर्नलगंज शिफ्ट होने के बाद मोतीलाल नेहरू ने इस मकान को पूरी तरह नया बनवाया। इस मकान को आनंद भवन नाम दिया गया। आनंद भवन का अर्थ होता है – “खुशियों का घर”।


यह नेहरू और गांधी परिवार का पुस्तैनी घर है। साल 1931 में नेहरू का मीरगंज का घर नगर पालिका ने गिरा दिया। जवाहर लाल नेहरू की बहुत सी यादें आनंद भवन से जुड़ी हुई हैं।
 
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आनंद भवन से ही हुई थी इंदिरा गांधी की शादी

जवाहर लाल नेहरू को बच्चों के प्रति बहुत प्रेम और लगाव भी था। उन्होंने अपनी जिंदगी में बच्चों लिए कई कल्याणकारी कार्य भी किए। बच्चों से लगाव के कारण ही उनको लोग चाचा नेहरू के नाम से भी बुलाते हैं। वह बच्चों से मिलने अक्सर आनंद भवन जाया करते थे।
नेहरू की इकलौती बेटी इंदिरा गांधी की शादी आनंद भवन में ही हुआ। आनंद भवन में जवाहर लाल नेहरू की सभी चीजें संभाल के रखी हुई है। बाद में आनंद भवन को साल 1971 को म्यूजियम बना दिया गया।
 
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इलाहाबाद के फूलपुर सीट से जीता सांसदी का चुनाव

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू इलाहाबाद के फूलपुर से लगातार तीन बार सांसद रहे। अपने निधन के समय भी नेहरू फूलपुर से सांसद थे। वह पहली बार साल 1952 में, दूसरी बार साल 1957 में फूलपुर से सांसद के निर्वाचित हुए। तीसरी और आखिरी बार वह 1962 में फूलपुर से ही सांसद बने। इसलिए फूलपुर को “नेहरू का निर्वाचन क्षेत्र” और कभी कांग्रेस का गढ़ भी कहा जाता था।
नेहरू भारत के आजाद होने से पहले ही नहीं बल्कि आजादी के बाद भी भारत के राजनीति के केंद्र में रहे। विदेश नीति से लेकर इंटरनल सिक्योरिटी में उनकी अच्छी पकड़ थी।

नेहरू भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में आपने आपको नेता के रूप स्थापित किया। साल 1947 में भारत के एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में स्थापना से लेकर साल 1964 यानी 17 साल तक प्रधानमंत्री पद पर रहे।
(यह स्टोरी श्रेया पांडेय ने लिखी है। श्रेया पत्रिका उत्तर प्रदेश के साथ इंटर्नशिप कर रही हैं।)

 
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