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इलाहाबाद हाईकोर्ट: तीन न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी की संस्तुति, जानिए वजह

अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीशों व एक विशेष न्यायाधीश अनुसूचित जाति जनजाति कानून को कदाचार के आरोप का दोषी करार दिया है और इन्हें बर्खास्त करने की राज्यपाल को संस्तुति भेजी है। सूत्र बताते हैं कि पांच न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ शिकायतों की जांच की गई।जिसमे से दो के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं मिलने के कारण बरी कर दिया गया।और तीन न्यायिक अधिकारियों को कदाचार का दोषी करार देते हुए बर्खास्त किए जाने की संस्तुति की गई

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इलाहाबाद हाईकोर्ट: तीन न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी की संस्तुति, जानिए वजह

इलाहाबाद हाईकोर्ट: तीन न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी की संस्तुति, जानिए वजह

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के दो अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीशों व एक विशेष न्यायाधीश अनुसूचित जाति जनजाति कानून को कदाचार के आरोप का दोषी करार दिया है और इन्हें बर्खास्त करने की राज्यपाल को संस्तुति भेजी है। सूत्र बताते हैं कि पांच न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ शिकायतों की जांच की गई। जिसमे से दो के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं मिलने के कारण बरी कर दिया गया।और तीन न्यायिक अधिकारियों को कदाचार का दोषी करार देते हुए बर्खास्त किए जाने की संस्तुति की गई है।

बर्खास्त होने वाले अधिकारियों में बदायूं से 11जुलाई 15 से निलंबित अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अशोक कुमार सिंह,बलिया से निलंबित अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश हिमांशु भटनागर,तथा सिद्धार्थनगर के विशेष न्यायाधीश अनुसूचित जाति जनजाति जाति अधिनियम डा राकेश कुमार जैन को बर्खास्त करने की संस्तुति की गई है। राज्यपाल से कभी भी इसकी मंजूरी मिल सकती है।

यह भी पढ़ें: इलाहाबाद हाईकोर्ट: आजम खान के करीबियों के मामले में सुनवाई 25 को, जाने मामला

मामला जौहर अली विश्वविद्यालय ट्रस्ट से जुड़ा हुआ है। सरकार ने आजम खान के साथ उनके बेटे अदीब आजम सहित ट्रस्ट और विश्वविद्यालय के प्रबंध तंत्र से जुड़े लोगों को अलग-अलग मामलाें में आरोपी बनाया है। मामले में याचियों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों को रद्द करने के लिए याचिका दाखिल कर रखी है। कोर्ट में याची के अधिवक्ता की ओर से मामले की सुनवाई के लिए किसी और दिन निर्धारित करने की मांग की गई। मामला जौहर अली विश्वविद्यालय ट्रस्ट से जुड़ा हुआ है। सरकार ने आजम खान के साथ उनके बेटे अदीब आजम सहित ट्रस्ट और विश्वविद्यालय के प्रबंध तंत्र से जुड़े लोगों को अलग-अलग मामलाें में आरोपी बनाया है। मामले में याचियों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों को रद्द करने के लिए याचिका दाखिल कर रखी है।