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प्रेग्नेंसी के समय होने वाला डिप्रेशन बन सकता है महिलाओं के लिए बड़ा खतरा, जानें लक्षण और बचने के तरीके

पोस्टपार्टम डिप्रेशन महिलाओं को डिलिवरी के बाद हो सकता है डिलिवरी के करीब दो से तीन दिनों के भीतर पोस्टपार्टम डिप्रेशन की शुरुआत हो सकती है।

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नई दिल्ली। तनाव या स्ट्रेस कुछ समय के लिए हो, तो वह चलता है लेकिन जब लंबे समय तक बना रहें तो इसांन के लिए बेहद खतरनाक बन जाता है। क्योंकि ज्यादा तनाव लेने से लोग डिप्रेशन में चले जाते हैं। जो शरीर को तोड़ने के लिए काफी होता है। ऐसे ही कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी के समय काफी तनाव रहता है। जिसके बारे में जानकार भी कहते है। कि गर्भवती महिलाओं में यह बात कॉमन है, लेकिन कई बार इसके बढ़ने से महिलाएं खुद समझ नही पाती कि उन्हें डिप्रेशन है।

गर्भवती महिलाओं में डिप्रेशन का होना मां और गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए भी नुकसान हो सकता है। इस समस्या से निपटने के लिए उससे जुड़ी जानकारी होना जरूरी है।

प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाला डिप्रेशन क्या है?

प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव होते है। जिनमें हर्मोनल परिवर्तन के चलते तनाव का बढ़ना इसमें शामिल है। जिसे आसान भाषा में एक तरह का मूड डिसऑर्डर भी कहा जा सकता है। यह व्यक्ति के अंदर हफ्तों या महीनों तक रहता है। जो शरीर को काफी प्रभावित करता है। प्रेग्नेंट महिलाओं पर इसका असर तेजी से होता है।

प्रेग्नेंसी में डिप्रेशन को ऐसे पहचानें

प्रेग्नेंसी के समय डिप्रेशन होने से मन और व्यक्तित्व पर बुरा असर पड़ सकता है। एक रिसर्च में सामने आया कि प्रेग्नेंसी के दौरान इस तरह की समस्याओं पर ध्यान देना जरूरी है। यदि गर्भवती महिलाए स बात को नजरअंदाज कर देती है तो यह और भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है। जिससे बच्चे का मानसिक और शारीरिक विकास भी रूक सकता है। अक्सर देखा भी गया कि तनावग्रस्त मां शिशु का सही से पालन-पोषण नहीं कर पाती। जिसकी वजह से बच्चे का समय से पहले जन्म (प्रीटमबर्थ) और उसमें वजन की कमी (लो बर्थ वेट) हो सकती है।

इससे न केवल बच्चे के शारीरिक विकास असर पड़ता है बल्कि मानसिक विकास पर भी बुरा असर पड़ता है।