रायगढ़

नगर निगम के सामान्य सभा में जिंदल के संपत्तिकर का मुद्दा गर्माया

रायगढ़। आठ माह बाद हुई नगर निगम की सामान्य सभा में जिंदल के संपत्तिकर के मुद्दे को लेकर पूरे शहर की नजर टिकी हुई थी। इस मामले में शुरू से ही विरोध के आसार थे जो आज प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिला। इस मुद्दे में जमकर बीजेपी पार्षदों ने विरोध शुरू किया बाद में सभी पार्षदों ने विरोध का समर्थन दिया जिसके बाद सदन ने जोन क्रमांक ५ में रखकर ही संपत्तिकर का निर्धारण करने निर्णय लिया जाना अंकित किया गया।

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पार्षदों ने किया विरोध

साथ ही सदन ने इस मामले में राजस्व व अन्रू तकनिकी अधिकारियों व कानून के जानकारों के साथ मिलकर आगे की कार्रवाई करने का निर्णय लिया है।
करीब एक घंटे देरी से शुरू हुई नगर निगम के सामान्य सभा की बैठक शुरू होने के पूर्व ही नेता प्रतिपक्ष के कुर्सी को लेकर विवाद शुरू हो गया। करीब १५ मिनट तक चले हंगामा के बाद सामान्य सभा के आगे की कार्रवाई शुरू हुई। नगर निगम सभापति जयंत ठेठवार, माहपौर जानकी काटजू, आयुक्त एस जयवर्धने सहित पार्षदों की उपस्थिति में सामान्य सभा की बैठक शुरू हुई। इस बैठक में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा निगम के संपत्तिकर का निर्धारण था। एमआईसी के प्रस्ताव क्रमांक १६ में जिंदल स्टील एंड लिमिटेड के संपत्तिकर निर्धरण के संबंध में हाईकोर्ट द्वारा पारित निर्णय व नगरीय प्रशासन के निर्देशों का हवाला देते हुए इस प्रस्ताव को सदन में पेश किया गया। इसमें सबसे पहले भाजपा पार्षद शिनु राव ने आपत्ति जताते हुए कोर्ट के आदेश को पढ़कर अवगत कराने के लिए कहा। निगम आयुक्त सभापति और अन्य अधिकारियों ने जैसे ही आदेश को पढ़कर सदन को अवगत कराए विरोध के स्वर शुरू हो गए। इस बात को लेकर आपत्ति किया गया कि कोर्ट ने जिंदल के याचिका पुर्ननिर्धारण पर निगम के वकिलो की सहमति पर पुर्ननिर्धारण करने का आदेश दिया है न कि इस मामले में रिवाईज करने के लिए कहा गया है। ऐसे स्थिति में कोर्ट में जिंदल के याचिका पर सहमति जताते हुए वकिल व संबंधित अधिकारियों के कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाया गया। काफी देर तक इस मामले में हंगामा होने के बाद सभी पार्षदों ने पूर्व में किए गए निर्धारण जोन क्रमांक ५ में अद्यौगिक क्षेत्र के हिसाब से ही निर्धारण करने पर सहमति दिया है। जिसके बाद सदन में सभी के सहमति पर उक्त आधार पर ही निर्धारण करने का निर्णय लिया गया है साथ ही इस मामले को लेकर कानून के जानकार और निगम के राजस्व अधिकारियों द्वारा तकनिकी रूप से समझने के बाद कोर्ट के आदेश के अनुरूप निर्धारण करने की बात कही गई।

इन्होने भी दिया तर्क
इस मामले को लेकर भाजपा पार्षद शिनु राव के बाद हमेश कंकरवाल ने भी विरोध किया और उन्होने कहा कि धन्य है निगम के वकिल जो कि उद्योग के रिट याचिका पर सहमति देते हुए पुर्नविचार के लिए तैयार हो गए। वहीं सुभाष पांडेय ने कहा कि वर्ष २०१७ में उक्त आदेश हाईकोर्ट के सिंगल बैंच से हुआ है इसके बाद निगम के अधिकारियों ने इसे डबल बैंच में ले जाने का काम भी नहीं किया। इसके अलावा लक्ष्मी साहू ने भी इस मामले में अपना तर्क रखते हुए जानकारों से सलाह लेकर जोन ५ में रखकर कर निर्धारण करने की बात कही।
कितने का हुआ था कर निर्धारण
वर्ष २०१३-१४ में नगर निगम ने ३७ करोड़ ६७ लाख ४१४ रुपए का कर निर्धारण किया था। जिसके बाद यह मामला हाईकोर्ट में चले गया था। ५ दिसंबर २०१७ को हाईकोर्ट ने पुर्ननिधारण के लिए आदेश किया। २५ अप्रैल २०१९को इस मामले में स्थानीय प्रशासन को ही कर निर्णय लेने कहा। जिसके बाद जिंदल उद्योग ने इसमें स्व निर्धारण फार्म भरकर ३ करोड़ ९९ लाख का संपत्तिकर निकाला था जबकि नगर निगम ने इसमें ३७ करोड़ ६७ लाख४१४ का निर्धारण किया था।
अधिकार पत्र के नाम पर वसूली का आरोप
पार्षद अशोक यादव ने प्राची विहार स्थित अंबेडकर आवास के पात्र हिताग्राहियों को अधिकार पत्र न मिलने पर सवाल उठाया। जिसके लेकर निगम द्वारा दिए गए जवाब के बाद पार्षद ने आरोप लगाया कि अधिकार पत्र के नाम पर वसूली का खेल चल रहा है।

Published on:
25 Feb 2022 08:43 pm
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