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खामोश यह कंपनी राज है…..यहां लोकतंत्र नहीं चलता, यहां चलता है डोजरतंत्र

हिंडालको के कोयला खदान के लिए तीन ग्रामीणों के घर को प्रशासन, पुलिस ने मिलकर गिरा दिया। ग्रामीण अपनी आंखों से पीढिय़ों से बसे अपने आशियाने को प्रशासन के जेसीबी से रौदते देखते रहे।

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Piyushkant Chaturvedi

Apr 02, 2016

Here democracy does not reign,

The company is silent ..... Here democracy does not reign, plays on Dojrtntr

रायगढ़.
हिंडालको के कोयला खदान के लिए तीन ग्रामीणों के घर को प्रशासन, पुलिस ने मिलकर गिरा दिया। ग्रामीण अपनी आंखों से पीढिय़ों से बसे अपने आशियाने को प्रशासन के जेसीबी से रौदते देखते रहे। महिलाओं ने इस फैसले का विरोध किया। नतीजा यह हुआ कि आदेश का विरोध करने की सजा उन्हें मिली और पुलिस उन्हें उठाकर थाने ले गई। जिन महिलाओं को पुलिस उठा कर थाने ले गई उनमें सामाजिक कायकर्ता रिनचिन, बिरहोर महिला सनयारो और निर्मला सिदार शामिल है।


घटना शुक्रवार की है। पीडि़त ग्रामीण कंदर्प सिदार ने बताया कि शुक्रवार को दिन के दस बजे के आसपास प्रशासन, पुलिस और कंपनी के 30 से 40 लोगों का दल तमनार ब्लाक के बनखेता गांव पहुंचा साथ में आदेश की कॉपी और बुलडोजर था। ग्रामीणों को बताया कि गया कि कंदर्प सिदार, गोपी और परमानंद के घरों को तोडऩे का आदेश है वह तोडऩे आए हैं। इस पर पीडि़तों ने पूर्व सूचना नहीं दिए जाने की बात कही। प्रशासनिक दल नहीं माना। उन्हें घर से सामान निकालने के लिए कहा गया। इसके बाद बुलडोजर ने उनके मकानों को रौंदना शुरू कर दिया। अब सड़क पर आ चुके ग्रामीण अपने आशियाने की तलाश कर रहे हैं।


नहीं मिला है मुआवजा

पीडि़त ग्रामीणों ने बताया कि उनकी जमीन का मुआवजा और पुर्नवास जैसी कोई चीज उन्हें नहीं मिली है। वह शुरू से इस बात की मांग करते आ रहे हैं कि यदि मुआवजा दिया गया तो किस नाम से और किस चेक के माध्यम से दिया गया है इस बात की जानकारी दी जाए पर न तो प्रशासन ने इस बात की जानकारी दी है और न ही हिंडालको कंपनी की ओर से कोई जानकारी दी गई है।


क्या है मामला

बनखेता का क्षेत्र पहले नीको जायसवाल के इलाके में आता था। ऐसे में जो भी खरीदी हुई है वह नीको ने की है। अब कोल खदान नीको के हाथ से चली गई है और हिंडालको के हाथ में है। हिंडालको नीको की ओर से दिए गए कागजात के आधार पर खनन का कार्य प्रारंभ कर रहा है। कल तक नीको के माइंस का दायरा इन ग्रामीणों के घर तक नहीं पहुंच सका था इसलिए बात दबी हुई थी। अब जब घर टूटने की बारी आई है तो मामले ने तूल पकड़ लिया है।


बंद कर दिया था पानी

पीडि़त ग्रामीणों ने बताया कि उनको घर खाली करने का नोटिस काफी पहले से दिया गया है। लेकिन जब तक उन्हें मुआवजा और पुर्नवास नहीं मिल जाता है तब तक वह अपने घर को कैसे छोड़ देते इस कारण से अड़े हुए थे। इन हालात में हमें मजबूर करने के लिए हमारे इलाके में पानी की सप्लाई बंद कर दी गई थी। दो किमी दूर से लोगों को पीने के लिए पानी लाना पड़ रहा था। वहीं जब हमने घरों को खाली नहीं किया तो शुक्रवार को इसे तोड़ दिया गया।


कलक्टर ने कहा आई विल सी

ग्रामीणों के घर के तोड़े जाने की खबर दिल्ली तक पहुंची। वहां से एमनेस्टी इंटरनेशनल संस्था के कार्यकर्ता सत्येंद्र शर्मा ने ने बताया कि इस मामले में उन्होंने रायगढ़ कलक्टर से बात की। कलक्टर को सारी जानकारी देने के बाद कलक्टर ने कहा कि ओके आई विल सी। वहीं संस्था की ओर से इस मामले में बिलासपुर कमिशनर से भी बात करने के कोशिश संबंधी जानकारी दी गई पर बात नहीं हो सकी।

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