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साइबर ठगों पर 3 डीएसपी समेत 123 सदस्यीय अमला रखेगा नजर

राकेश टेम्भुरकर Chhattisgarh News: साइबर अपराध की घटना को अंजाम देने वाले अब पुलिस की पैनी नजर से बच नहीं पाएंगे। उनकी गतिविधियों पर शिकंजा कसने और प्रकरणों की जांच करने के लिए जल्दी ही फील्ड में 3 उप पुलिस अधीक्षक सहित 123 सदस्यीय टीम को तैनात किया जाएगा।

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Cyber crime

Chhattisgarh News: रायपुर साइबर अपराध की घटना को अंजाम देने वाले अब पुलिस की पैनी नजर से बच नहीं पाएंगे। उनकी गतिविधियों पर शिकंजा कसने और प्रकरणों की जांच करने के लिए जल्दी ही फील्ड में 3 उप पुलिस अधीक्षक सहित 123 सदस्यीय टीम को तैनात किया जाएगा। राज्य सरकार से इसकी स्वीकृति मिलने के बाद वित्त विभाग को प्रशासकीय अनुमति के लिए भेजा गया है। इसका आदेश जारी होते ही पुलिस महकमे के विशेषज्ञ अधिकारियों और पुलिसकर्मियों को साइबर थाने में पदस्थ किया जाएगा। बता दें कि बजट सत्र के दौरान रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, सरगुजा और जगदलपुर जिला मुख्यालय में साइबर थाना खोलने की घोषणा की गई थी। साथ ही राज्य पुलिस को सेटअप तैयार कर करने कहा गया था। ताकि सभी रेंज मुख्यालय में इसे खोला जा सकें।

प्रत्येक थाने में 24 सदस्यीय टीम

साइबर अपराध की जांच करने के लिए प्रत्येक थाना में 1 इस्पेक्टर, 5 सब इस्पेक्टर, 5 प्रधान आरक्षक और 11 आरक्षकों को तैनात किया जाएगा। वहीं प्रकरणों का सुपरविजन करने के लिए रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर में एक-एक डीएसपी की तैनाती की जाएगी। बताया जाता है कि नए थानों को शुरू करने के लिए स्थल के साथ ही भवन की तलाश चल रही है। इसके मिलते ही इसे शुरू कर दिया जाएगा।

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इस तरह के साइबर अपराध

साइबर अपराधी ज्यादातर सोशल इंजीनियरिंग टूल का उपयोग करते हैं। इसके जरिए ऑनलाइन धोखाधड़ी, क्रेडिट / डेबिट कार्ड हैक कर खरीदारी, पुरस्कार / लॉटरी का पैसा निकालने के लिए आधार कॉर्ड नंबर, बैंक एकांइट नंबर के जरिए ठगी। ऑनलाइन पोर्नोग्राफी और वित्तीय धोखाधड़ी सहित ब्लैकमेलिंग करते है। पीड़ित द्वारा इसकी शिकायत करने पर साइबर थाना इसकी विवेचना कर अपराधी तक पहुंचती है।

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पीएचक्यू से मिलेंगे संसाधन

प्रस्तावित थानों को वाहन के साथ ही अत्याधुनिक कम्प्यूटर और डाटा एनालिसिस के लिए मशीनें मिलेगी। इससे इंटरनेट का आईपी एड्रेस, कमांड सेंटर और ठगी करने वाले के लोकेशन का पता करने में आसानी होगी। इसे पीएचक्यू के साइबर थाना के साथ ही केंद्रीय गृह मंत्रालय के ज्वाइंट साइबर इन्वेस्टिगेशन प्लेटफॉर्म से जोडा़ जाएगा। इसमें बैंक, ऑनलाइन शॉपिंग साइट, इंटरनेट प्रोवाइडर, टेलीकॉम कंपनियां और सभी जांच एजेंसियां जुड़ी रहेंगी। किसी भी तरह की ऑनलाइन ठगी होने पर बैंक और इंटरनेट प्रोवाइडर तत्काल संबंधित थानों को जानकारी उपलब्ध कराएंगे। जिससे किसी भी तरह की ऑनलाइन ठगी होने पर रकम के ट्रांजेक्शन को रोकने में मदद मिलेगी। बता दें कि इस समय साइबर अपराध की जांच जिलों में बनाए गए साइबर सेल द्वारा की जाती है। लेकिन अत्याधुनिक मशीने नहीं होने के कारण अधिकांश मामलों की जांच नहीं हो पा रही थी।

प्रदेश के सभी 5 रेंज मुख्यालय में जल्दी ही साइबर थाना को शुरू किया जाएगा। इसके लिए सेटअप तैयार कर राज्य सरकार को प्रशासकीय स्वीकृति के लिए भेजा गया है।

-प्रदीप गुप्ता, एडीजी तकनीकी सेवाएं