कोरोना से मरने वालों में 64 प्रतिशत बीपी, 53 प्रतिशत शुगर, 13 प्रतिशत दिल के रोगी
स्वास्थ्य विभाग की डेथ ऑडिट कमेटी की रिपोर्ट से खुलासा हो रहा है कि कोरोना से मरने वालों में 63 प्रतिशत लोग कहीं न कहीं, किसी न किसी बीमारी से पीड़ित थे।

रायपुर. प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर, पहली से कहीं अधिक खतरनाक साबित हो सकती है। जिसके संकेत मिलने शुरू हो गए है। स्वास्थ्य विभाग की डेथ ऑडिट कमेटी की रिपोर्ट से खुलासा हो रहा है कि कोरोना से मरने वालों में 63 प्रतिशत लोग कहीं न कहीं, किसी न किसी बीमारी से पीड़ित थे। जिनमें 64 प्रतिशत हाइपरटेंशन, 53 प्रतिशत डायबिटीज और 17 प्रतिशत दिल की बीमारी से पीड़ित थे। जो आज के समय की सबसे कॉमन बीमारी है। इसके बाद किडनी, हार्ट और ब्रेन के मरीज इस वायरस के आगे हथियार डाल रहे हैं। यानी की अगर हम किसी अन्य बीमारी से ग्रसित है और लापरवाही बरत रहे है तो इसका मतलब है कि हमें जिंदगी से प्यार नहीं है।
29 मई को प्रदेश में कोरोना से पहली मौत हुई, उसके बाद से 22 नवंबर तक 2,732 जाने चली गई। उधर, पत्रिका के 13 से 19 नवंबर के बीच हुई 125 लोगों की मौत की डेथ ऑडिट रिपोर्ट मौजूद है। इसके मुताविक 46 मौतों की वजह सिर्फ और सिर्फ कोरोना रहा। रिपोर्ट में कुछ और बातें पूरा तरह से स्पष्ट की गई है। जैसे- मृतकों में 94 पुरुष है और 31 महिलाएं। यानी त्यौहार की खरीदारी करने के लिए पुरुष बाजारों में निकले, संक्रमित हुए और एकाएक आईसीयू में पहुंचे और जान गंवा बैठे। इसलिए कुछ दिनों के लिए खुद को फिर से घरों में कैद करना जरूरी है।
जागो: 31 प्रतिशत मौतें भर्ती होने के 24 घंटे के अंदर
रिपोर्ट से खुलासा हो रहा है कि कोडिव19 हॉस्पिटल में भर्ती होने के 24 घंटे के अंदर-अंदर 31 प्रतिशत मरीज दमतोड़ तोड़ रहे हैं। यानी की इन मरीजों में लक्षण की पहचान में देरी हो रही है। फिर जांच में और अंत में अस्पताल शिफ्टिंग में लग रहा समय, सीधे मौत के घाट उतार दे रहा है।
3 स्तर पर होरही चूकः पहला, मरीज केस्तरपर-मरीजकोस्वयं यह देखना होगा कि उसे सर्दी, जुखाम, खांसी, बुखार, सांस लेने में तकलीफ, स्वाद न मिलना, गंध न मिलने जैसे लक्षण दिख रहे हैं तोसमझजाएंकीये कोरोना के ही लक्षण हैं। जो ये समझने में देरी कर रहे हैं या फिर नजरअंदाज कर में
दूसरा, परिजनों के स्तर पर: अगर, अपने घर के किसी भी सदस्य में कोरोना के लक्षण दिखें तो तत्काल उनका कोरोना टेस्ट करवाएं। जो कम देखने में मिल रहा है। नजदीकी मेडिकल से दवा लाकर दे रहे हैं। जो गलत है।
तीसरा, सरकारी सिस्टम के स्तर पर: 9 महीने में सिर्फ लॉकडाउन में सरकारी तंत्र नियमों का पालन करवा पाया, उसके याद नहीं। सख्ती जरूरी है। स्वास्थ्य विभाग के मैदानी अमले को यह खबर होनी चाहिए कि किस घर में किसे क्या तकलीफहै?जांच सुनिश्चित करवाई जाए। कोरोना जांच केंद्र में समय पर सैंपलिंग और फिर टेस्टिंग रिपोर्ट मिले। रिपोर्ट आने के अगले दिन क्यों. उसी दिन अस्पताल में शिफ्टिंग का व्यवस्था होनी चाहिए।
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