20 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

CG News: पक्षी संरक्षण की दिशा में एक नई पहचान, पाटन में मेहमान परिंदों का संसार, हर साल आते है सैकड़ों प्रवासी पक्षी

CG News: बुजुर्गों ने पीढ़ियों से इन पक्षियों और उनके आवासों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसी कारण सर्दियों के मौसम में पाटन का इलाका मेहमान परिंदों के संसार में तब्दील हो जाता है।

2 min read
Google source verification
CG News: पक्षी संरक्षण की दिशा में एक नई पहचान, पाटन में मेहमान परिंदों का संसार, हर साल आते है सैकड़ों प्रवासी पक्षी

रायपुर के करीब पाटन में (Photo Patrika)

CG News: @ हेमंत कपूर। राजधानी रायपुर से सटे दुर्ग जिले के पाटन क्षेत्र ने हाल के वर्षों में पक्षी संरक्षण की दिशा में एक नई पहचान बनाई है। यहां के बेलौदी, चीचा, अचानकपुर बांध, सांतरा, सेमरी, रूही और पाहंदा झील जैसे वेटलैंड हर साल सैकड़ों प्रवासी पक्षियों का घर बनते हैं। स्थानीय समुदायों और बुजुर्गों ने पीढ़ियों से इन पक्षियों और उनके आवासों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसी कारण सर्दियों के मौसम में पाटन का इलाका मेहमान परिंदों के संसार में तब्दील हो जाता है।

सुरक्षित आश्रय और भोजन की प्रचुरता के कारण यहां हर साल प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं। क्षेत्र में पहली बार ओरिएंटल डार्टर पक्षी का घोंसला भी रिपोर्ट किया गया है, जो एक बड़ी उपलब्धि है। युवाओं में जागरूकता के लिए कॉलेजों के साथ बर्ड वॉक और बर्ड काउंट जैसे आयोजन किए जा रहे हैं।

राजू वर्मा, , बिर्ड वॉचर व वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर

राष्ट्रीय पक्षी दिवस का महत्व

भारत में हर साल 12 नवंबर को राष्ट्रीय पक्षी दिवस मनाया जाता है। यह दिवस भारत के प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी और प्रकृतिवादी डॉ. सलीम अली के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है। डॉ. अली को ‘भारत का बर्डमैन’ कहा जाता है। इसके अलावा भारत में 5 जनवरी को भी राष्ट्रीय पक्षी दिवस मनाया जाता है।

यहां 250 प्रजातियों का बसेरा

लगभग 250 से अधिक पक्षी प्रजातियां दर्ज की हैं। इनमें नॉर्थन पिनटेल, गारगने, बार-हेडेड गूज, ब्लैक-टेल गॉडविट, रिवर लेप्विंग, रुडी शेलडक, गोल्डन प्लोवर, सैंड पाइपर, वाइट वैगटेल, मार्श हेरियर, टफ्टेड डक, ग्रे लेग गूज, ओसप्रे, कैस्पियन टर्न, रिवर टर्न और ऐवोसेट प्रमुख हैं।

हजारों किलोमीटर का सफर तय…

वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर राजू वर्मा बताते हैं कि हर साल सैकड़ों पक्षी हिमालयी क्षेत्र, चीन, रूस, मध्य एशिया, इराक और अफगानिस्तान से होकर पाकिस्तान मार्ग से छत्तीसगढ़ पहुंचते हैं। गर्मी शुरू होते ही ये अपने मूल बसेरों की ओर लौट जाते हैं।