
48 घंटे से सड़कों पर अन्नदाता, कवर्धा कलेक्ट्रेट में बजे नगाड़े
रायपुर. छत्तीसगढ़ में खरीफ के धान की सरकारी खरीदी गुरुवार को पूरी हो गई। एक दिसम्बर से 20 फरवरी तक ढाई महीने में सरकार ने 82 लाख 80 हजार मीट्रिक धान खरीदा है। इस धान की कीमत 14 हजार 751 करोड़ रुपए है। इसके बावजूद हजारों किसान अपना धान बेचने से रह गए हैं। ऐसे किसान पिछले 48 घंटे से सड़क पर आंदोलन कर रहे हैं। कवर्धा जिले के बिरकोना गांव के पास गुरुवार दोपहर को रायपुर - जबलपुर राजमार्ग को रोककर प्रदर्शन कर रहे किसान शुक्रवार रात तक वहां से हटे नहीं थे। वहीं हरिनछपरा गांव के पास चक्काजाम किए किसान गुरुवार रात को तो लौट गए, लेकिन शुक्रवार सुबह उन्होंने फिर से सड़क पर अपना मोर्चा बना लिया है। इसकी वजह से इस सड़क पर बड़े वाहनों की आवाजाही पूरी तरह रुक गई है। बताया जा रहा है कि दोनों तरफ 10 से 12 किमी तक बड़े वाहन खड़े हैं। गुरुवार शाम कवर्धा कलेक्ट्रेट का घेराव करने पहुंचे किसान शुक्रवार रात तक वहीं जमें थे। शिवरात्रि के अवकाश की वजह से सरकारी कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ा लेकिन वह सड़क ठप्प हो गई है। शुक्रवार को भारतीय किसान संघ ने भी कलेक्ट्रेट से करीब 200 मीटर पहले सड़क घेरकर प्रदर्शन शुरू कर दिया है। किसान उनका पूरा धान खरीदने की मांग कर रहे हैं।
कांकेर के कोयलीबेड़ा लैम्पस में सैकड़ो किसानों का धान नहीं बिका। नाराज किसानों ने शुक्रवार को कोयलीबेड़ा में चक्काजाम कर दिया। इस प्रदर्शन की वजह से कोयलीबेड़ा का साप्ताहिक बाजार भी बंद रहा। प्रदर्शन में सरकार के खिलाफ नारेबाजी हुई। किसानों का कहना था, सरकार धान खरीदने में आनाकानी कर रही है। अगर समर्थन मूल्य पर उनका धान नहीं खरीदा गया तो वे निजी व्यापारियों को धान बेचने पर मजबूर होंगे। व्यापारी से उन्हें अच्छे दाम नहीं मिलेंगे। सहकारी बैंकों से कर्जदार किसानों को कर्ज के अदायगी की भी चिंता है। चक्काजाम की सूचना पर पहुंचे नायब तहसीलदार ने सरकार को बचे हुए किसानों की सूची भेजने का आश्वासन देकर मामला शांत करने की कोशिश की।
बीजापुर में धान नहीं खरीदे जाने से भड़के किसानों ने राजमार्ग पर चक्काजाम कर दिया। शुक्रवार सुबह से ही किसान सड़क पर उतर आए थे। किसानों के समर्थन में कई व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद कर दीं। किसानों का कहना था, उनकी समिति में 273 किसानों का धान नहीं खरीदा गया है। यहां किसानों के समर्थन में भाजपा भी सड़क पर उतरी है। इस प्रदर्शन की वजह से सड़क के दोनों तरफ वाहनों की कतार लग गई थी।
दो दिनों से चल रहे प्रदर्शन के बीच सरकार और प्रशासन के वरिष्ठों ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत की भी कोई पहल नहीं की है। प्रदर्शनों से सर्वाधिक प्रभावित कवर्धा में कलेक्टर अभी तक सामने नहीं आए हैं। बीजापुर और कांकेर में कनिष्ठ अधिकारी आश्वासन देने पहुंचे थे, जिनकी बात मानने से किसान इन्कार कर चुके हैं। हालांकि प्रदेश के खाद्य मंत्री अमरजीत भगत का कहना है, सरकार ने इस बार जितना धान खरीदा है, उतना पहले कभी नहीं खरीदा गया। इसके लिए करीब 15 करोड़ रुपए किसानों को दिए जा रहे हैं। आगे अंतर की राशि भी दी जानी है। इतने बड़े काम में थोड़ी-बहुत दिक्कतें आती रहती हैं। अंतिम दिनों में बारदाने की कमी की शिकायत मिली। तत्काल व्यवस्था कराई गई। खरीदी की समय-सीमा बढ़ाना है या नहीं, इसका निर्णय मुख्यमंत्री जी को लेना है।
सवा लाख किसानों का धान नहीं बिका
समर्थन मूल्य पर सरकार को धान बेचने के लिए 19 लाख 55 हजार किसानों ने अपना पंजीयन कराया था। विभाग के मुताबिक इनमें से 18 लाख 20 हजार 832 किसानों ने ही धान बेचा है। मतलब एक लाख 34 हजार से अधिक किसान विभिन्न वजहों से धान नहीं बेच पाए। अधिकारियों ने बताया, राज्य के 2 हजार 47 खरीदी केन्द्रों में 82 लाख 80 हजार मीट्रिक टन धान खरीदा गया है। यह राज्य गठन से अब तक की सर्वाधिक खरीदी है। इस धान के लिए किसानों को 14 हजार 751 करोड़ रुपयों का भुगतान मिलना है।
Published on:
21 Feb 2020 11:08 pm
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