
रायपुर. छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण के बीच म्यूकोरमाइकोसिस (Mucormycosis) का संकट गहराने लगा है। राजधानी के निजी अस्पतालों में विगत सप्ताहभर में ऐसे मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। राज्य सरकार ने ब्लैक फंगस(Black Fungus) से निपटने कमर कस लिया है। प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों को राज्य के तकनीकी समिति के विशेषज्ञों ने पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए अनुशंसित स्टैन्डर्ड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल जारी किया है। राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों में ब्लैक फंगस का इलाज किया जाएगा, क्योंकि सभी जिलों के अस्पतालों में पीड़ित मरीज के प्रकरण सामने आ रहे हैं।
ब्लैक फंगस एक फंगल संक्रमण है। यह उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है जो दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित है और दवाएं ले रहे हैं। इससे उनकी प्रतिरोधात्मक क्षमता प्रभावित होती है। यदि व्यक्ति के शरीर में यह फंगस शरीर के अंदर चला जाता है तो उसके साइनस या फेफड़े को प्रभावित करता है, जिससे गंभीर बीमारी होने की संभावना रहती है।
किसे होती है यह बीमारी
यह कोविड-19 (COVID-19) के डायबीटिक या अनियंत्रित डायबीटिज (जो स्टेरॉयड का इस्तेमाल कर रहे हैं) तथा आईसीयू में अधिक समय तक भर्ती रहने से यह बीमारी हो सकती है। धूल भरे स्थानों में मास्क पहनकर, शरीर को पूरे वस्त्रों से ढंक कर, बागवानी करते समय हाथों में दस्ताने पहनकर और व्यक्तिगत साफ-सफाई रखकर इस बीमारी से बचा जा सकता है।
यह लक्षण होते ही डॉक्टर से ले परामर्श
आंख व नाक में दर्द, आंख के चारों ओर लालिमा, नाक का बंद होना, नाक से काला या तरल द्रव्य निकलना, जबड़े की हड्डी में दर्द, चेहरे में एक तरफ सूजन, नाक-तालु काले रंग का होना, दांत में दर्द, दांतों का ढ़ीला होना, धुंधला दिखाई देना, शरीर में दर्द होना, त्वचा में चकते आना, छाती में दर्द, बुखार आना, सांस की तकलीफ होना, खून की उल्टी व मानसिक स्थिति में परिवर्तन आदि लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
Updated on:
15 May 2021 08:03 pm
Published on:
15 May 2021 07:59 pm
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