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राज्य सरकार हरेली तिहार में पहली बार 30 रुपए प्रति नग बेचेगी गेड़ी, वन विभाग के जरिए होगी बिक्री

CG Raipur Festival News : राज्य सरकार हरेली तिहार के लिए पहली बार 30 रुपए प्रति नग में गेड़ी बेचेगी।

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राज्य सरकार हरेली तिहार में पहली बार 30 रुपए प्रति नग बेचेगी गेड़ी, वन विभाग के जरिए होगी बिक्री

राज्य सरकार हरेली तिहार में पहली बार 30 रुपए प्रति नग बेचेगी गेड़ी, वन विभाग के जरिए होगी बिक्री

CG Raipur Festival News : राज्य सरकार हरेली तिहार के लिए पहली बार 30 रुपए प्रति नग में गेड़ी बेचेगी। इसका विक्रय 7 जुलाई से शुरू होगा। यह नई राजधानी स्थित वन विभाग मुख्यालय अरण्य भवन, सभी जिला वन विभाग डिवीजन कार्यालय, संजीवनी और सी-मार्ट में मिलेगा। (raipur news) मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर वन विभाग के अधिकारी इसकी तैयारियों में जुटे हुए है। (cg news) इसके लिए बंसोड को बांस उपलब्ध कराया जा रहा है।

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Hareli Festival : इसे बनाने के एवज में उन्हें प्रति नग करीब 10 रुपए मजदूरी दी जाएगी। (raipur news) वे इसका निर्माण करने के साथ ही इसका विक्रय भी कर सकेंगे। प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्रीनिवास राव ने बताया कि 17 जुलाई को हरेली तिहार के पहले गेड़ी उपलब्ध कराया जाएगा। इसे प्रदेश में बड़े ही जोरशोर के मनाया जाता है। खास तौर पर ग्रामीण अंचलों में गेडी़ की डिमांड ज्यादा रहती है। (cg news in hindi) लेकिन डीपो से बांस लाने और उसे बनाने ने परेशनी को देखते हुए वह गेडी़ चढऩे का आंनद नहीं ले पाते है। इसे देखते हुए वन विभाग द्वारा नागरिकों को रेडीमेड गेडी़ उपलब्ध कराई जा रही है।

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हरेली है छत्तीसगढ़ का पारंपरिक त्यौहार

हरेली तिहार के साथ गेड़ी चढऩे की परंपरा अभिन्न रूप से जुड़ी हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग सभी परिवारों द्वारा गेड़ी का निर्माण किया जाता है। बच्चों से लेकर युवा वर्ग के लोग गेड़ी का जमकर आनंद लेते हैं। (cg festival news) गेड़ी चढकऱ ग्रामीण-जन और कृषक-समाज वर्षा ऋतु का स्वागत करता है।

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वर्षा ऋतु में के दौरान गांवों में सभी तरफ कीचड़ होता है, लेकिन गेड़ी चढकऱ कहीं भी आसानी से आया-जाया जा सकता है। इसका निर्माण दो बांस में बराबरी दूरी पर कील लगाई जाती है। एक और बांस के टुकड़ों को बीच से दो बराबर भागों में बांटा जाता है। (cg hareli news) इसका बाद उसे रस्सी से फिर से जोड़कर पैरदान बनाया जाया है। (cg hindi news) इसे लंबाई में पहले काटे गए दो बांसों में लगाई गई कीलों के ऊपर बांध दिया जाता है। इसे चलाते समय गेडी़ से रच-रच की ध्वनि निकलती है।