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बच्चों में फिर होगी छुपम-छुपाई और गिल्ली-डंडा की खूब बातें

सिटी के बुक स्टोर और डिजिटल फार्मेट में भी एनसीइआरटी की वेबसाइट में किताबें उपलब्ध

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सुमित यादव@रायपुर. आज के दौर में दो साल के बच्चे मोबाइल पर वीडियो गेम खेलते नजर आते हैं। एेसे समय में पुराने समय से ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचलित रहे खेलों से नई पीढ़ी को अवगत कराने के लिए एनसीइआरटी ने एक नई पहल की है। जिसमें उन्होंने गिल्ली डंडा, छुपम-छुपाई खेलों की सचित्र कहानियों के जरिए बच्चों को उनसे जोडऩे की कोशिश की जा रही है। स्कूली बच्चों को बचपन से जोडऩे वाली ये किताबें मार्केट के बुक डिपो में उपलब्ध है। इसके साथ ही एनसीइआरटी की वेबसाइट में भी अपलोड की गई है। जिससे बच्चों में ट्रेडिशनल खेलों के लेकर जागरुकता आएगी। वेबसाइट में चार स्तर में ये किताबें डिजटल फार्मेट में वेबसाइट में अपलोड किया गया है। जिसमें कुल मिलाकर ४० किताबें है। इसके साथ ही इसमें जो बच्चे देख नहीं सकते उनके लिए वीडिया और ऑडियों में कहानी की किताबें देख और सुन सकेगें।

डिजिटल फार्मेट में उपलब्ध

एनसीइआरटी की ओर से 'बरखाÓ सीरीज की किताबें को वेबसाइट पर डिजिटल फार्मेट में भी अपलोड किया गया है। डिजिटल सीरीज में कहानी पढऩे से पहले इसके संबंध में वीडियो में बताया भी गया है। 'पढऩा है समझनाÓ की तर्ज पर तैयारी की गई किताबें की यह सीरीज चार स्तरों में विभाजित है। हर स्तर में १० यानी कुल ४० कहानी दी गई हैं। ये किताबें टेक्स्ट बुक और डिजिटल दोनों फार्मेट में उपलब्ध हैं।

डिसएबल बच्चों के लिए भी उपयोगी

इस पहल के अंर्तगत मूक-बधिर बच्चों के लिए अलग से वीडियों दिया गया है। इसमें यह समझाया गया है कि ऑनलाइन इन कहानियों को किस तरह पढऩा है। बरखा श्रृंखला के अंर्तगत चार कलर के चरण बनाएं गएे है। इसमें रेड, ब्लू,येलो, ग्रीन है। जिसमें किताबों की टेक्स्ट बुक है। इसके साथ ही मुक बधिर बच्चे उस बुक को जैसे ही क्लिक करते है तो एक दुसरा वैबपेज ओपने होगा, जिसमें ऑडियों और वीडियों में उस कहानी का परिचय प्राप्त कर सकते है। ब्लाइंड बच्चे बिना देखे भी इस कहानी को ऑडियों के जारिए सुन सकते है।

चार स्तर में 40 कहानियां उपलब्ध

इसमें चार चरणों में विभाजित 'बरखा: एक पठन शृंखला सभी के लिएÓ इस संग्रह में ४० कहानी हैं। पहले स्तर में छुपन-छुपाई, गिल्ली-डंडा, मजा आ गया, मिली का गुब्बारा, मिठाई, मीठे-मीठे गुलगुले, गुनमुन और मुन्नू, फूली रोटी, रानी भी और तोता है। दूसरे स्तर में चावल, चिमटी का फूल, हमारी पतंग, हिच-हिच हिचकी, जीत की पीपनी, मोमी, ऊन का गोला, आउट, पत्तल और शरबत हैं। तीसरे स्तर में बबली का बाजा, चाय,गोलगप्पे, झूला, कूदती जुराबें, मैसी के मोजे, मेरे जैसी, मिली के बाल, तालाब के मजे और तोसिया का सपना है। चौथे स्तर में भुट्टा, चलो पीपनी बनाएं, चुन्नी और मुन्नी, गेहूं मिली की साइकिल, नानी का चश्मा, पका आम, पीलू की गुल्ली और तबला हैं।

सुधीर अग्रवाल, एससीइआरटी, डायरेक्टर

अशोक नारायण बंजारे, जिला शिक्षा अधिकारी,