
सावधान! साइबर क्राइम में अब मोबाइल से मैसेज लिंक भेजकर और ओटीपी पूछकर हो रही बड़ी ठगी
रायपुर. बिना घर में घुसे रुपए उड़ानें के इस नए फार्मूले में पढ़े-लिखे अधिकारी-कर्मचारियों के साथ ही कार्पोरेट सेक्टर के लोग भी शातिरों के शिकार हो रहे हैं। दरअसल साइबर क्राइम में अब मोबाइल से मैसेज बॉक्स में मैसेज लिंक भेजकर, मोबाइल नंबर और ओटीपी पूछकर बड़ी ठगी हो रही है। राजधानी में एक साल के भीतर ऐसी कई ठगी हो चुकी है, जिसके बाद भी लोगों में जागरूकता नहीं आ रही है। इस मामले में पीडि़तों के पैसे वापस लेने के लिए उन्हें भी दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है। इधर रायपुर पुलिस ने इस मामले को लेकर अब ई-रक्षा अभियान की शुरूआत कर दी है, जिसमें लोगों को साइबर क्राइम से बचने के लिए अपील की जा रही है।
रायपुर एसएसपी आरिफ शेख ने बताया कि ऑनलाइन और साइबर ठगी पर आम लोगों को जागरूक करने के लिए ई-रक्षा अभियान चलाया जा रहा है। आम लोगों से अपील है कि कोई भी फेक कॉल, मैसेज और लिंक में अपनी निजी और बैंक खातों की जानकारी ना दें।
साइबर एक्सपर्ट व एनालिटिक्स मोनाली गुहा ने बताया कि मोबाइल के मैसेज बॉक्स में आए अनचाहे लिक्स को खोलकर इसमें अपनी निजी जानकारी शेयर ना करें। साइबर ठगी के नए ट्रेंड अब मोबाइल भी हैक किया जा रहा है, वहीं ओटीपी के माध्यम से भी ठगी हो रही है।
केस-1
फरवरी महीने में अशोका रतन निवासी स्पंज आयरन कमीशन एजेंट अजय को ओला कैब का शेयर पास मिलने का झांसा देकर उनके खाते से पहले 89 रुपए काटे गए। फिर उसी पैसे को लौटाने के लिए खाते की जानकारी ली गई और एक लाख रुपए निकाल लिया गया। एजेंट के मोबाइल पर जब मैसेज आया तो ठगी का पता चला। पुलिस ने धोखाधड़ी का केस दर्ज मामले की जांच शुरू की।
केस-2
मोबाइल नंबर बताते ही 27 हजार पार
मई 2019 में तेलीबांधा से किसी मनजीत सिंह ने फोन किया। उसने कहा कि अपनी बहन के लिए आई-20 कार खरीदना चाहते थे। उसने कार की पूरी जानकारी ली और कहा कि वह बुकिंग एकाउंट देना चाहता था। उनसे उनका मोबाइल नंबर मांगा, जो गुगल पे से जुड़ा हुआ है। जैसे ही तेलीबांधा स्थित एक ऑटोमोबाइल शोरूम के फाइनेंस मैनेजर विक्रांत कुलश्रेष्ठ ने अपना मोबाइल नंबर बताया। चार किश्त में खाते से २७ हजार रुपए निकाल लिया गया।
केस-3
महालेखाकार कार्यालय में भी ठगी
अभी हाल ही में १२ नवंबर के आस-पास राजधानी में महालेखाकार कार्यालय में पदस्थ एक अकाउंटेंट ऑनलाइन ठगी का शिकार हो गया। ठग ने अकाउंटेंट के मोबाइल नंबर पर एसएमएस के जरिए लिंक भेजकर अकाउंट और एटीएम कार्ड की डिटेल ले ली। थोड़ी देर बाद पीडि़त के खाते से 90 हजार पार हो गए। गूगल पे की यूपीआई आईडी के जरिए यह रकम निकाली गई थी। वारदात के 4 दिन बाद पीडि़त ने थाने में शिकायत की, जिसके बाद एफआईआर दर्ज की गई।
इससे बचने के लिए यह ध्यान रखें
1. ओटीपी चाहे बैंक का हो या किसी और सर्विस का। इसे किसी के भी साथ शेयर करना खतरनाक हो सकता है।
2. किसी को बताने पर एप्लीकेशन का फाइनल ऐक्सेस साइबर अपराधी को मिल जाता है जिसके बाद वह आपको भी आप ही के एप यूज़ करने से रेस्ट्रिक्ट कर सकता है।
3. हर ओटीपी के साथ यह भी लिखा हुआ आता है कि वह किसके द्वारा और किस लिए भेजा गया है, अत: ओटीपी के साथ आए मेसेज को ध्यान से पढ़ें और इस्तेमाल के बाद उसे तुरंत डिलीट भी करें।
4. सबसे ज्यादा साइबर अपराध ओटीपी के द्वारा ही किए जारहे हैं।
5. मोबाइल को लिंक भेज कर हैक करना अब एक बेहद आसान तरीका बन चुका है। इसके जरिये अलग अलग तरीके से आपकी लोकेशन, आईपी इन्फॉर्मेशन, बेसिक जानकारी अथवा पूरे मोबाइल का एक्सेस लिया जा सकता है।
6. आम तौर पर लिंक पर क्लिक करने से आपके फोन पर एपीके फाइल इनस्टॉल एवं रन होती है जिसके बाद आपके फोन में मौजूद सारे डेटा एवम गतिविधियों पर हैकर अपनी नजऱ जमाए बैठे होते हैं। इनमे आपके कॉल लॉग ,कॉल रिकॉर्डिंग, एसएमएस, फ़ोटो, वीडियो, चैट्स, व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, हाईक, हैंगआउट, ईमेल, पेटीएम ,जैसे सभी तरह के ऐप्स का डेटा ,पासवर्ड जैसी तमाम चीजों को हैकर्स एक्सेस कर सकते हैं ।
7. इसके अलावा वे आपके ऑडियो एवम वीडियो कॉल ,लाइव चैटिंग के स्क्रीनशॉट ,आस पास चल रही बातचीत आदि भी सुनने एवम रेकॉर्ड करने में सक्षम हो जाते हैं ।
8. इससे बचने के लिए सबसे पहले अपने फोन पर पेड एंटीवायरस इनस्टॉल करें, इसके साथ ही अपने प्लेस्टोर की - प्लेप्रोटेक्ट सेटिंग्स भी ऐक्टिव रखें । किसी भी अनजानलिंक पर क्लिक करने से बचें। ध्यान रहे किसी लिंक पर क्लिक करने के बाद अगर ऑटोमेटिक इंस्टॉल ऑप्शन सामने आए तो उस पर कतई क्लिक न करें।
Published on:
29 Nov 2019 08:19 pm
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