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बस्तर फाइटर्स भर्ती: सहायक आरक्षक का पद समाप्त, अब DSF में होगा संविलियन

बस्तर सहित दर्जनभर नक्सल प्रभावित जिलों के सहायक आरक्षक होंगे लाभान्वित।

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बस्तर। पुलिस बल में बस्तर फाइटर्स की विशेष बल की भर्ती के बाद अब प्रदेश सरकार ने नक्सल उन्मूलन अभियान में वर्षों से सहयोग दे रहे सहायक आरक्षकों के लिए एक विशेष बल डिस्ट्रिक्ट स्ट्राइक फोर्स (डीएसएफ) का सृजन करते हुए सहायक आरक्षकों का संविलियन करने का निर्णय लिया है।

इस निर्णय के तहत प्रदेश के नक्सल प्रभावित जिलों में पदस्थ सभी सहायक आरक्षकों को शामिल किया जाएगा। इसके साथ ही सहायक आरक्षक का पद समाप्त किया जा रहा है। गौरतलब है कि गुरुवार को प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अगुवाई में सहायक आरक्षकों को सौगात देते हुए यह निर्णय लिया गया। सरकार के इस निर्णय से सहायक आरक्षकों को नियमित आरक्षक की भांति समान वेतनमान व अन्य भत्ते दिए जाएंगे।

बस्तर के 3200 सहायक आरक्षक होंगे लाभान्वित
पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने बताया कि शासन के इस निर्णय से बस्तर रेंज के लगभग 3200 सहायक आरक्षकों को लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा इसके लिये 2022 के बजट में प्रावधान रखा गया था। अब यह पूरी तरह लागू हो जाएगा। बस्तर के अंदरूनी इलाकों में पुलिस बल के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे सहायक आरक्षकों का मनोबल बढ़ेगा। इनके साथ ही वे अब और अधिक मेहनत व लगन के साथ काम करेंगे।

सहायक आरक्षक के पद समाप्त
प्रदेश सरकार के द्वारा डिस्ट्रिक्ट स्ट्राईक फोर्स संवर्ग के गठन के साथ ही नक्सल जिलो में कार्यरत सहायक आरक्षकों का पद समाप्त कर दिया गया है। यह पद 15 वर्षी पूर्व से निर्मित किया गया था। जिसके तहत वर्तमान में 3096 पदों पर सहायक आरक्षक कार्य कर रहे थे। अब यह आरक्षक डीएसएफ के आरक्षक कहलायेंगे।

2021 में परिजनों ने किया था धरना प्रदर्शन
गौरतलब है कि सहायक आरक्षकों के परिजनों ने 17 जुलाई 2021 में प्रियदर्शिनी इंदिरा स्टेडियम में सरकार से एक सूत्रीय मांग सहायक आरक्षकों को पदोन्नति मिले को लेकर धरना प्रदर्शन भी किया था। इस धरना प्रदर्शन में जगदलपुर सहित दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर कोंडागांव सहित अंदरूनी इलाकों के सहायक आरक्षकों के परिजन पहुँचे हुए थे। इसमें महिलाओं के साथ साथ छोटे छोटे दुधमुँहे बच्चे भी शामिल थे। इन परिजनों का कहना था कि सहायक आरक्षकों के लिए उनकी इस महंगाई में अल्प वेतन के कारण परिवार के आगे भरण पोषण की समस्या है । पति नक्सली क्षेत्रों में ड्यूटी होने के कारण हफ्तों हफ़्तों घर नहीं आते जिससे परिवार का सामंजस्य भी बिगड़ रहा है। सहायक आरक्षकों के परिजनों की मांग थी कि सरकार पहले सहायक आरक्षकों का संविलियन कर वेतन वृद्धि करें उसके बाद ही कोई अन्य पदों में भर्ती करें।


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