
झोलाछाप डॉक्टरों का बोलबाला (Photo source- AI)
Fake Doctor: राजधानी समेत प्रदेश के विभिन्न इलाकों में झोलाछाप डॉक्टर कई केस बिगाड़ रहे हैं। इससे मरीजों की मौत भी हो जाती है और कई अपंगता का शिकार हो जाते हैं। झोलाछाप डॉक्टरों का नेटवर्क काफी तगड़ा है। वे ही गांव के मरीजों को बीमार पड़ने पर पहले खुद इलाज करते हैं, फिर स्थिति बिगड़ने पर कथित सुपर व मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल में भेजते हैं। उन्हें इसके लिए तगड़ा कमीशन मिलने की भी चर्चा है।
9 साल से अभियान चलाकर कोई कार्रवाई नहीं होने से झोलाछापों के हौसले बुलंद है। गांवों में ये विशेषज्ञ डॉक्टर की तरह काम करते देखे जा सकते हैं। बलरामपुर में बच्ची की मौत और अर्जुंदा बालोद में युवक की मौत से स्पष्ट है कि ये झोलाछाप मरीजों के लिए मौत बन रहे हैं। निजी अस्पतालों के लिए ये एजेंट की तरह काम करते हैं। राजधानी, आसपास व पूरे प्रदेश में झोलाछाप डॉक्टरों का बोलबाला है।
हालांकि उन्हें डॉक्टर लिखना भी नहीं चाहिए, लेकिन ये अपने आपको जनरल प्रैक्टिशनर से लेकर कई बीमारियों का विशेषज्ञ बताते हैं। रायपुर के ही कई मोहल्लों में झोलाछाप के क्लीनिक चल रहे हैं। साइनबोर्ड में भी नाम व कथित डिग्री भी लिखे रहते हैं। राजधानी के आंबेडकर समेत निजी अस्पतालों में झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज के बाद कई बिगड़े हुए केस आते हैं।
बालोद के इलाके के एक झोलाछाप डॉक्टर ने एक व्यक्ति को लकवा मारने के बाद कैल्शियम की टैेबलेट दे दी। लकवा में कैल्शियम का क्या रोल है, पूछने पर कुछ बोल नहीं पाया। आंबेडकर अस्पताल में भर्ती करने के बाद मरीज की हालत में सुधार हुआ। । जानकारों का कहना है कि कई गांवों में पीएचसी है। वहां जाकर इलाज करवाएं।
Fake Doctor: गांवों में पैरामेडिकल कोर्स करने वाले या 12वीं के बाद छोटे अस्पतालों में नर्स की ड्यूटी करने वाली महिलाएं भी मरीजों का इलाज कर रही हैं। ये अपने आपको किसी विशेषज्ञ डॉक्टरों से कम नहीं समझती। हाल में आंबेडकर अस्पताल में ऐसा ही केस आया था, जब झोलाछाप डॉक्टर के इलाज से मरीज की किडनी खराब होने लगी थी। शरीर में दर्द होने पर झोलाछाप इंजेक्शन लगाने के अलावा पेनकिलर टेबलेट खाने को देता। फिर मरीज के शरीर में सूजन आने लगी। अच्छा हुआ, परिजन मरीज को आंबेडकर अस्पताल लेकर आ गए। इससे मरीज की स्थिति में सुधार हुआ। बाद में मौत हो गई।
9 साल पहले स्वास्थ्य विभाग ने अभियान चलाकर रायपुर जिले में झोलाछाप के खिलाफ कार्रवाई की थी। इससे झोलाछाप एक हो गए थे, फिर ऐसा दबाव बनाया कि कार्रवाई ही ठप पड़ गई। गजब की एकता है झोलाछाप में। ये आए दिन मीटिंग भी करते हैं और कई बार विदेश की यात्रा भी करते हैं। झोलाछाप डॉक्टरों की एकता के सामने स्वास्थ्य विभाग ने भी घुटने टेक दिए। ज्यादातार झोलाछाप के पास इलाज के लिए कोई डिग्री ही नहीं है।
डॉ. मिथलेश चौधरी, सीएमएचओ, रायपुर: शिकायतों के आधार पर झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कई बार कार्रवाई हुई है। लोगों को भी चाहिए कि बीमार होने पर विशेषज्ञ डॉक्टरों को दिखाएं। अब तक कई जगह सरकारी अस्पताल से लेकर अर्बन हैल्थ सेंटर खुल गए हैं।
Updated on:
27 Sept 2025 11:26 am
Published on:
27 Sept 2025 11:25 am
