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नई तकनीक से खेती ने महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर

कृषि विभाग द्वारा महिला स्व-सहायता समूह को मशरूम उत्पादन के लिए सहायता राशि उपलब्ध कराई गई

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नई तकनीक से खेती ने महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर

नई तकनीक से खेती ने महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर

रायपुर. छत्तीसगढ़ शासन किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए खेती-बाड़ी से जुड़ी हर एक तकनीक की जानकारी किसानों को दी जाती है। नई खेती-बाड़ी की जानकारी हासिल कर महिलाएं भी अब खेती-किसानी से जुड़कर आत्मनिर्भर बन रही है। आज वे सब्जी का उत्पादन कर परिवार की आमदनी में इजाफा कर रही है। बेमेतरा जिले की सतरूपा बाई सिर्फ साधारण गृहिणी थीं उनके परिवार की मुख्य काम खेती-बाड़ी ही है। सतरूपा बाई को कृषि विभाग के अधिकारियों ने समझाईश दी गई कि वे अपने खेतों में सब्जियां लगाकर आमदनी बढ़ा सकती है। कृषि विभाग द्वारा विभाग की आत्मा योजना के अंतर्गत सब्जी उत्पादन का प्रशिक्षण दिया गया और उन्हें इसके लिए सहायता राशि उपलब्ध कराई गई, जिससे उन्होंने बीज खाद और अन्य आदान सामग्री खरीदी आत्मा योजना द्वारा दिए गए प्रशिक्षण एवं सहायता राशि से आज खेती-बाड़ी अच्छी खासी कमाई करने लगी है।

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आत्मा योजना से प्रेरित होकर बेमेतरा जिले के ग्राम बिलई गांव की महिलाओं ने एक स्व-सहायता समूह बनाया है और वे मशरूम उत्पादन के काम से जुड़ी है। महिला समूह की किरण बाई ने बताया कि उन्हें कृषि विभाग के अधिकारियों ने आत्मा योजना के बारे में बताया और उनकी ही समझाईश पर स्व-सहायता समूह की महिलाएं मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण लेने के लिए तैयार हो गई। कृषि विभाग द्वारा महिला स्व-सहायता समूह को मशरूम उत्पादन के लिए सहायता राशि उपलब्ध कराई गई। इसके फलस्वरूप आज महिलाएं अच्छी मात्रा में मशरूम उत्पादन कर स्थानीय बाजार और अन्य बाजारों में मशरूम का विक्रय कर लाभ कमा रही हैं और अपने परिवार का सहयोग कर वे अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ कर रही है।

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