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Hareli Tihar 2025: पत्रिका की विशेष प्रस्तुति… ‘हरेली के जुबान ले एक आत्मीय गोठ’

Hareli Tihar 20205: मे हंव हरेली, छत्तीसगढ़ के पहिली तिहार... छत्तीसगढ़ी परब के बानी, गोठियावत हे तोर हरेली, चलव जानथन हमार माटी के सुगंध, संस्कार के संगवारी के आत्मीय गोठ

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Hareli tihar 20205

पत्रिका की विशेष प्रस्तुति... 'हरेली के जुबान ले एक आत्मीय गोठ' ( Photo - Patrika )

Hareli Tihar 2025: मोर छत्तीसगढ़िया संगी हो, जय जोहार ! में हंव हरेली, तुंहर अपन तिहार, तुहर घर के दुआरी मं हर बछर हरियर सपना ले के आथवं। में सिरिफ परब नई हंव, में तुहर नांगर, बैइला, माटी अउ मया के संग जीयत-हांफत जिनगी हंव।

जे दिन ले तुहर पुरखा मन पहिली बेर खेत जोते रिहिन, ओ दिन ले में तुहर संग हंव। में तुंहर घर के अंगना में गैड़ी चढ़त लइका के हांसी हंव, में तुंहर बूढ़ा ददा के नीम के छांव जइसने दुआ हंव।

Hareli Tihar 2025: अरे संगी, कइसे भुला सकथ हस मोला ?

जब तै हा बेइला ला तेल लगाथस, नांगर के मूठि ला ललचुक लाल रंग में रंगथस, ओ दिन तोर आंखी में जऊन चमक रहिथे, ओ चमक, में हंव में। (Hareli Tihar 2025 ) जब तोर घर में तोर दाई नीम के पत्ता बांधके रोग-दरद ला भगाथे, तेकर सुगंध में में हंव।

आज फेर में आ गे हंव, हरियर चूरी, पेड़-पउधा अउ गा गांव के गंध ले लिपटा के। अब सहर में घूमथ ही तो देखथ हव, इसकूल में लईकामन हरेली मनावत है, पउधा लगावत है, गीत गावत है। ए मोर संगी! तै ह जौउन माटी में मेहनत करथस, में तोर मेहनत के फल हंव।

अउ मोर असीस ले सुन-

  • तुंहर खेत हरियर रहय तुंहर घर में धन-धान्य अउ हंसी के बेरा गूंजय
  • तुहर लइका मन माटी ले जुड़े रहय
  • अउ तै अपन छत्तीसगढ़ ल अऊ सुंदर बनावव

में तोर बोली में बड़ठे हंक में तोर गीत में गूंजे हंव। में आंव हर साल, फेर रहंव हर दिन तोर भीतरी, तोर जमीन में, तोर आत्मा में।

जय जोहार ! तोर हरेली