
Hartalika Teej 2021: छत्तीसगढ़ में 'करू-भात' खाकर महिलाएं रखती हैं निर्जला व्रत, जानिए क्यों
रायपुर. Hartalika Teej 2021: भाद्र पद शुक्ल पक्ष की हरतालिका तृतीया तिथि 9 सितंबर को है। यह तिथि सुहागिन महिलाओं और अविवाहित युवतियों के लिए विशेष है। तीजा व्रत पूजा के लिए महिलाएं तैयारियों में जुट गई हैं। ट्रेनों और बसों से मायके जाने के लिए निकलीं। हरतालिका तीज पर 24 घंटे का निर्जला व्रत रखकर सोलह शृंगार में भगवान शिव-पार्वती का पूजन कर सुहागिनें अखंड सौभाग्य और युवतियां अच्छे वर की कामना करेंगी।
छत्तीसगढ़ी में कड़वा मतलब 'करू' होता है और पके हुए चावल को 'भात' कहा जाता है। इस व्रत पूजा से एक दिन पहले बुधवार को शाम समय का भोजन करेला की सब्जी भात का भोग लगाएंगी और खीरा खाकर सोएंगी, ताकि अन्न का डकार न आए। इसके बाद कुछ भी नहीं खाती हैं। इस दिन छत्तीसगढ़ के हर घर में करेले की सब्जी खासतौर पर बनाई जाती है।
ज्योतिषी डॉ. अनंतधर शर्मा के अनुसार हस्त नक्षत्र शुक्ला योग तैतिल और गरकरण का प्रभाव हरतालिका तीज तिथि पर बन रहा है। जो अच्छा संयोग है। सुहागिन महिलाएं अपने के दीर्घायु की कामना के लिए यह कठिन उपवास रखती हैं। हरतालिका व्रत पूजा के लिए सुहागिनें मायके जाने के लिए ट्रेनों और बसों से निकल रही हैं। आसपास जिलों में जिनका मायका है, वह बुधवार शाम तक मायके पहुंच कर हरितालिका तीज मनाएंगी।
ये है प्राचीन मान्यता
प्राचीन मान्यता है कि आज के दिन माता पार्वती ने शिव को प्राप्त करने के लिए तीजा के दिन निर्जला और निराहार रहकर घनघोर तप किया था। भगवान शंकर पार्वती से प्रसन्न हो जाते हैं और उन्हें अपने जीवन में पत्नी के रूप में स्थान देते हैं। कुंवारी कन्याएं सुयोग्य वर की कामना के लिए उपवास रखती हैं। उड़ीसा में यह गौरी व्रत के नाम से जाना जाता है।
Published on:
08 Sept 2021 10:26 am
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