किराएदार वेरीफिकेशन प्रक्रिया (RAIPUR NEWS) के नाम पर केवल कागजी खानापूर्ति जिले में चल रही है। दूसरे जिले और प्रदेश का कौन व्यक्ति जिले में रह रहा है? उसका आपराधिक रेकॉर्ड है या नहीं? इस बात की जानकारी पुलिस और मकान मालिकों को नहीं है। घटना के बाद पुलिस अधिकारी केवल नोटिस देते रह जाते है और मकान मालिक हाथ मलते रह जाते हैं।
हर गली-मोहल्ले में रह रहे किराएदार रायपुर प्रदेश की राजधानी होने की वजह से नौकरी, कारोबार, शिक्षा का हब है। छात्रों के अलावा दूसरे जिले और राज्यों के लोग यहां आकर अपना जीविकोपार्जन करते है। जिले के कुछ मकान मालिक (RAIPUR NEWS) अपने निवास में रहने वालों को सूचना पुलिस को देना जरूरी नहीं समझते। जो जागरूक सूचना देते भी हैं, उनके आवेदन थानों की फाइलों में कैद होकर रह जाते हैं। जिले के थाना प्रभारी किराएदारी फार्म दूसरे जिलों की पुलिस से जांच करवाना जरूरी नहीं समझते। जब घटना होती है, तो पुलिस अधिकारी कार्रवाई करने का दावा करते है, लेकिन कुछ दिन बाद भी ठंडे बस्ते में पड़ जाती है।
इसलिए जरूरी है किराएदारों का वेरीफिकेशन दूसरे जिले और राज्य से आने वाला शख्स किस तरह का है। मकान मालिक को उसने जो जानकारी दी है वो सही है या नहीं? इस बात की जांच कराने के लिए पुलिस वेरीफिकेशन कराया जाता है। इस वेरीफिकेशन के बाद किराएदार के मूल निवास और उसके बैकग्राउंड का पता रहता है और आवश्यकता पडऩे पर तत्काल कार्रवाई हो जाती है। कई मकान मालिक कागजी कार्रवाई से बचने के लिए ये प्रक्रिया पूरी नहीं करते और फिर पुलिस कार्रवाई के चक्कर में फंसकर परेशान होते हैं।