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Year Ender 2025: नक्सल प्रभावित से टूरिज़्म हॉटस्पॉट तक, 2025 में दिखी बस्तर मॉडल की सफलता

Year Ender 2025: कभी नक्सल हिंसा से प्रभावित रहा बस्तर अब बेहतर सुरक्षा, सड़क और मोबाइल कनेक्टिविटी के विस्तार तथा सरकारी योजनाओं के चलते पर्यटन के नए केंद्र के रूप में उभर रहा है।

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पर्यटन और बस्तर मॉडल 2025 में नए आकर्षण (photo source- Patrika)

पर्यटन और बस्तर मॉडल 2025 में नए आकर्षण (photo source- Patrika)

CG New Tourism Hub: छत्तीसगढ़ का बस्तर इलाका कभी नक्सली हिंसा की वजह से डर और असुरक्षा का दूसरा नाम था। लेकिन, अब सरकार की कोशिशें रंग ला रही हैं। बस्तर तेज़ी से टूरिज़्म के एक नए दौर में कदम रख रहा है। सुरक्षा हालात में काफी सुधार, सड़कों और मोबाइल कनेक्टिविटी के विस्तार और सरकार की विकास योजनाओं ने इस इलाके की नेगेटिव इमेज को बदल दिया है। आज बस्तर न सिर्फ अपनी प्राकृतिक सुंदरता और अनोखी आदिवासी संस्कृति के लिए जाना जाता है, बल्कि यह एडवेंचर एक्टिविटीज़, इको-टूरिज़्म और ग्रामीण टूरिज़्म के एक नए हब के तौर पर भी उभर रहा है।

CG New Tourism Hub: नक्सली आतंक का खात्मा

पिछले कुछ सालों में बस्तर में नक्सली घटनाओं में आई भारी कमी ने पूरे इलाके को बदल दिया है। सुरक्षा बलों की लगातार तैनाती और बड़े ऑपरेशन्स से जंगलों और पहाड़ी इलाकों में शांति आई है। नए सुरक्षा कैंप बनने से सरकारी सेवाएं उन इलाकों तक पहुंच पाई हैं, जहां दशकों से प्रशासन नहीं पहुंच पाता था। बेहतर सुरक्षा के साथ, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, खासकर दूर-दराज के गांवों तक सड़कों का जाल बिछने से स्थानीय लोगों और पर्यटकों दोनों के लिए यात्रा करना आसान हो गया है।

सुरक्षा ने बदल दिया पूरा माहौल

जो रास्ते कभी खतरनाक माने जाते थे, अब वे पर्यटकों के लिए यात्रा करने के लिए सुरक्षित हैं। कम्युनिकेशन नेटवर्क के विस्तार, मोबाइल टावरों की संख्या में बढ़ोतरी और बेहतर इंटरनेट कनेक्टिविटी ने बस्तर को मुख्यधारा से जोड़ दिया है। इन कोशिशों से ऐसा सुरक्षित माहौल बना है कि पर्यटक अब बिना किसी डर के उन इलाकों में भी जा रहे हैं जिन्हें पहले संवेदनशील माना जाता था, जैसे चित्रकूट, तीरथगढ़, कुटुमसर गुफा, बारसूर और अबूझमाड़। यह बदलाव सिर्फ़ सुरक्षा में सुधार नहीं है; यह बस्तर में टूरिज्म के भविष्य की नींव है।

मुख्य पहल और नई नीतियां

दिसंबर 2023 में पद संभालने के बाद से, विष्णु देव साई सरकार बस्तर को एक ग्लोबल टूरिज्म हब बनाने की दिशा में काम कर रही है। सरकार का फोकस मौजूदा लोकप्रिय टूरिस्ट डेस्टिनेशन को डेवलप करने, नई जगहों की पहचान करने, इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने, प्राइवेट इन्वेस्टमेंट को आकर्षित करने और कम्युनिटी-बेस्ड इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने पर है।

बांस राफ्टिंग: बस्तर में एक बेहतरीन इको-टूरिज्म अनुभव

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने 1 जून, 2025 को कोंडागांव जिले के भोंगपाल गांव में बांस राफ्टिंग सेंटर का उद्घाटन किया। बस्तर में बांस राफ्टिंग को एक इको-टूरिज्म मॉडल के रूप में विकसित किया गया है, और यह गतिविधि मुख्य रूप से धुद नदी के शांत और सुंदर पानी में की जाती है।

कैसे पहुंचें भोंगापाल?

जगदलपुर से प्राइवेट गाड़ी या लोकल टैक्सी से यहाँ आसानी से पहुँचा जा सकता है, और इस अनुभव का खर्च लगभग 200–500 रुपए प्रति व्यक्ति आता है। इससे स्थानीय युवाओं को रोज़गार मिला है और गाँवों में आय के नए स्रोत बने हैं, जिससे बस्तर की ग्रामीण अर्थव्यवस्था मज़बूत हुई है।

बस्तर टूरिस्ट कॉरिडोर: सभी प्रमुख डेस्टिनेशन को जोड़ने वाली जीवनरेखा

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री साई की अध्यक्षता में बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की एक बैठक में, बस्तर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक टूरिज्म कॉरिडोर बनाने का फैसला किया गया। यह कॉरिडोर चित्रकूट, तीरथगढ़, बारसूर, मांडवा झरना और कोटमसर जैसे प्रमुख आकर्षणों को जोड़ेगा।

कॉरिडोर के तहत पहचाने गए स्थानों को विकसित करने के लिए एक विस्तृत रणनीति तैयार की गई है। बेहतर सड़क और रेल लिंक के माध्यम से कनेक्टिविटी में सुधार पर जोर दिया जा रहा है, जिसमें नेशनल हाईवे 130-D के कुछ हिस्सों का निर्माण और रावघाट-जगदलपुर नई रेलवे लाइन परियोजना शामिल है, जो पर्यटन और व्यापार को मजबूत करेगा।

पंडुम कैफे: स्थानीय संस्कृति और स्वाद का एक नया केंद्र

बस्तर में 'पंडुम कैफे' का उद्घाटन मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने 17 नवंबर, 2025 को किया। यह कैफे बस्तर में शांति और पुनर्वास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इस अनोखे कैफे का मुख्य उद्देश्य नक्सली हिंसा के पीड़ितों और आत्मसमर्पण करके मुख्यधारा में लौटे पूर्व माओवादियों को सम्मानजनक आजीविका और पुनर्वास के अवसर प्रदान करना है।

जगदलपुर के पूना नारकोम कॉम्प्लेक्स में स्थित, यह कैफे स्थानीय युवाओं द्वारा प्रबंधित और संचालित किया जाता है, जिसमें पूर्व नक्सली और नक्सली हिंसा के पीड़ित दोनों शामिल हैं। "जहां हर कप एक कहानी कहता है" टैगलाइन के साथ, यह कैफे संघर्ष पर जीत, साहस और एक नई शुरुआत का प्रतीक है।

छत्तीसगढ़ होमस्टे पॉलिसी 2025-30 ग्रामीण पर्यटन की नई गति

CG New Tourism Hub: छत्तीसगढ़ सरकार ने ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 'छत्तीसगढ़ होमस्टे पॉलिसी 2025-30' का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है, और अब इसे लागू किया जा रहा है। इस पॉलिसी का मुख्य उद्देश्य बस्तर और सरगुजा जैसे प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर आदिवासी इलाकों में पर्यटन को बढ़ावा देना और स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार के नए अवसर पैदा करना है।

यह पॉलिसी प्राइवेट घर मालिकों को अपनी प्रॉपर्टी का कुछ हिस्सा सीमित समय के लिए पर्यटकों को किराए पर देकर अतिरिक्त इनकम कमाने का मौका देती है, जिससे 'वोकल फॉर लोकल' पहल को भी मज़बूती मिलती है।

अंतरराष्ट्रीय मंच पर चमका बस्तर

बस्तर जिले में स्थित धुड़मारास गांव को संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) ने अपने बेस्ट टूरिज्म विलेजेज अपग्रेडेशन प्रोग्राम के लिए चुना है, जिससे इसे अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है। इस चुनाव की घोषणा नवंबर 2024 में की गई थी। धुरमरास गांव बस्तर के मशहूर कांगेर वैली नेशनल पार्क के घने जंगलों में स्थित है।

यह गांव अपनी प्राकृतिक सुंदरता, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, जैव विविधता और समुदाय-आधारित इको-टूरिज्म गतिविधियों के लिए जाना जाता है। पर्यटक बांस राफ्टिंग, कयाकिंग, ट्रेकिंग, पक्षी देखना और स्थानीय होमस्टे में रहने जैसी गतिविधियों का आनंद ले सकते हैं, जिससे उन्हें ग्रामीण और आदिवासी जीवन का असली अनुभव मिलता है।