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किडनी मरीजों को मुफ्त डायलिसिस से मिलेगी संजीवनी

विश्व किडनी दिवस विशेष- - 6 जिलों में इसी माह से सुविधा मार्च से फैक्ट फाइल- - 10 प्रतिशत आबादी किडनी रोग से पीडि़त - किडनी रोगियों में पांच प्रतिशत को डायलिसिस की जरुरत - सरकारी अस्पतालों में किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा नहीं

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किडनी मरीजों को मुफ्त डायलिसिस से मिलेगी संजीवनी

किडनी मरीजों को मुफ्त डायलिसिस से मिलेगी संजीवनी

रायपुर.प्रदेश सरकार किडनी मरीजों को मुफ्त में डायलिसिस सुविधा मुहैया करवाकर संजीवनी देने जा रही है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) और राज्य स्वास्थ्य विभाग ने पहले चरण में छह जिला अस्पतालों को चिह्नित कर 27 डायलिसिस मशीनें इंस्टॉल करवा दी हैं। ये वे जिले हैं, जहां पर किडनी मरीजों की संख्या सर्वाधिक पाई गई है। इसी माह से इन मशीनों की सुविधा मरीजों को मिलने लगेगी।

स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य की 10 प्रतिशत आबादी किडनी की बीमारी की चपेट में है। समय पर बीमारी की पहचान न होने और होने के बाद इलाज की सुविधा के अभाव में मरीज दम तोड़ रहे हैं। जानकारों के मुताबिक किडनी के हर मरीज को डायलिसिस की आवश्यकता नहीं होती है, मगर 100 में 5 मरीजों की जान बचाने के लिए डायलिसिस या फिर किडनी प्रत्यारोपण ही विकल्प है। अब हर एक मरीज का किडनी प्रत्यारोपण संभव नहीं है, यही वजह है कि सरकार डायलिसिस सुविधाएं बढ़ाने पर जोर दे रही है। प्रदेश में नेफ्रोलॉजिस्ट और नेफ्रोलॉजी टेक्नीशियन की कमी है। इसलिए निजी कंपनी मशीनों को ऑपरेट करेगी। डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना के तहत मरीजों को मुफ्त को मुफ्त में डायलिसिस की सुविधा मिलेगी। साथ ही किडनी प्रत्यारोपण के लिए भी इसी योजना में पैकेज दरें तय की जा रही हैं।

इन प्रमुख कारणों से खराब होती है किडनी- संक्रमण, डायबिटीज, उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन), पथरी, बिना प्रिस्क्रिप्शन के दवाएं लेना के साथ यह वंशानुगत बीमारी भी है। सभी अस्पतालों में जांच की सुविधाकिसी को किडनी की बीमारी है या नहीं, इसके लिए इसकी पहचान जरूरी है। इसलिए हर जिला अस्पताल में सिरम यूरिया और सिरम क्रेटिनिन की जांच की सुविधा मुहैया करवाई जा रही है।

सिर्फ डीकेएस में नेफ्रोलॉजिस्ट- डॉ. पुनीत गुप्ता के निलंबन के बाद प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल में एक भी नेफ्रोलॉजिस्ट नहीं था। करीब सालभर तक एमडी मेडिसीन ने किडनी मरीजों का उपचार किया, जो अभी भी सेवाएं दे रहे हैं। मगर अभी एक नेफ्रोलॉजिस्ट ने ज्वाइनिंग दी है। अब मरीज को स्पेशलिस्ट से इलाज मिल रहा है। डायलिसिस हो रहा है। डीकेएस के अलावा किसी भी सरकारी अस्पताल में नेफ्रोलॉजिस्ट नहीं है। यही वजह है कि सरकार नेफ्रोलॉजिस्ट से जिला अस्पतालों के डॉक्टरों को प्रशिक्षण दिलवाने जा रही है। गौरतलब है कि सुपेबेड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी मशीन लगाई गई थी, मगर विशेषज्ञ के अभाव में बंद पड़ी है।

12 मार्च से यहां डायलिसिस की सुविधा-

अस्पताल- मशीनें

कांकेर- 5

दुर्ग- 5

बिलासपुर- 4

महासमुंद- 3

कोरबा- 5

जशपुर- 5

सुपेबेड़ा में तीन साल के प्रोजेक्ट का प्रस्ताव-

सरकार ने जनवरी में नेफ्रोलॉजिस्ट एवं इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजिस्ट के अध्यक्ष डॉ. विवेकानंद झा को लेकर सुपेबेड़ा दौरा करवाया था। फरवरी में डॉ. झा ने एम्स रायपुर के विशेषज्ञों के साथ चर्चा की थी। वे स्वास्थ्य सचिव निहारिका बारीक से भी मिले थे। उन्होंने सुपेबेड़ा को लेकर प्रोजेक्ट सबमिट किया है। गौरतलब है कि सुपेबेड़ा में 10 वर्ष में किडनी खराब होने से 73 जानें जा चुकी हैं। यहां यह बीमारी रहस्यमय बनी हुई है।

मंत्री महोदय और उच्च अधिकारियों के दिशा-निर्देश पर एनएचएम द्वारा डायलिसिस मशीनों की स्थापना करवाई जा रही है। सस्ती दर में जांच और डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध करवाए जाएगी।

डॉ. कमलेश जैन, राज्य नोडल अधिकारी, गैंर संचारी रोग कार्यक्रम