रायपुर

Khallari Mata Mandir: राजा हरि ब्रह्मदेव ने की थी खल्लारी मां की मूर्ति स्थापित, जाने मंदिर से जुड़ी अनोखे राज

Khallari Mata Mandir: मंदिर समिति के सुरेश चंद्राकर ने बताया कि उपलब्ध शिलालेखों से यह जानकारी मिलती है कि यह मंदिर 1415 के आस-पास बना है। यह स्थान तात्कालीन हैहयवंशी राजा हरि ब्रह्मदेव की राजधानी था।

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Oct 01, 2022

Khallari Mata Mandir: महासमुंद जिला मुख्यालय से 24 किमी दूर खल्लारी माता का मंदिर है। भक्तों की आस्था यहां लोगों को खींच लाती है। खल्लारी मंदिर घने जंगल व पहाडिय़ों से घिरा हुआ है। खल्लारी मंदिर के आस-पास ऐसे कई स्थल हैं, जिनका इतिहास महाभारत काल से भी जुड़ा हुआ है। मंदिर समिति के सुरेश चंद्राकर ने बताया कि उपलब्ध शिलालेखों से यह जानकारी मिलती है कि यह मंदिर 1415 के आस-पास बना है। यह स्थान तात्कालीन हैहयवंशी राजा हरि ब्रह्मदेव की राजधानी था।

राजा हरि ब्रह्मदेव ने खल्लारी को अपनी राजधानी बनाया तो उन्होंने इसकी रक्षा के लिए मां खल्लारी की मूर्ति की स्थापना की थी। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से खल्लारी को पर्यटन स्थल भी घोषित किया गया है। उन्होंने बताया कि खल्लारी मंदिर के साथ ही ऐसे कई स्थल भी मौजूद हैं, जो महाभारत काल के बताए जाते हैं। बताया जाता है कि पांडवों ने वनवास की कुछ अवधि यहां भी बिताई थी।

पश्चिम दिशा की तरफ भीम डोंगा नाम का विशाल पत्थर दिखता है। जिसका एक हिस्सा मैदान की तरफ तो दूसरा हिस्सा गहरी खाई की तरफ झुका हुआ है। एक छोटे पत्थर पर टिका नाव आकृति के इस पत्थर के संतुलन के कारण लोग यहां देखने के लिए आते हैं। यहां पैर की आकृति के बड़े निशान दिखते हैं।


भीम का पांव

यहां भीम का पांव भी दर्शनीय है। वहीं उत्तर दिशा की तरफ एक मूर्तिविहीन मंदिर है। इसे लाखागुड़ी या लाखा महल भी कहा जाता है। किवदंती है कि महाभारत काल में दुर्योधन ने पांडवों को षड्यंत्रपूर्वक समाप्त करने के लिए जो लाक्षागृह बनवाया था, वह यहीं पर बनवाया था। इसके अंदर एक गुफा भी है। जो गांव के बाहर की तरफ निकलती है। सुरेश चंद्राकर ने बताया कि अभी जहां मंदिर है उसे पहले खलवाटिका के नाम से जाना जाता था। माता की स्थापना के बाद से यह खल्लारी हो गया।

Published on:
01 Oct 2022 03:15 pm
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