
साल 2025 में छत्तीसगढ़ में हुए कई बड़े रेल हादसे(photo-AI)
CG Train Accident 2025 Report: साल 2025 छत्तीसगढ़ के रेलवे इतिहास में हादसों के लिहाज से चिंताजनक रहा। पूरे वर्ष राज्य के अलग-अलग जिलों में कई छोटे और बड़े रेल हादसे सामने आए। इनमें मालगाड़ियों का पटरी से उतरना, यात्री ट्रेनों की तकनीकी खराबी, लेवल क्रॉसिंग पर दुर्घटनाएं, ट्रैक मेंटेनेंस की कमी और सिग्नलिंग फेल्योर जैसी घटनाएं शामिल रहीं। हालांकि अधिकांश हादसों में जनहानि टल गई, लेकिन बार-बार हो रही घटनाओं ने रेलवे सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी।
साल 2025 में छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक रेल घटनाएं दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (SECR) के अंतर्गत आने वाले बिलासपुर, रायगढ़, कोरबा, दुर्ग, राजनांदगांव और सरगुजा रेल सेक्शनों में दर्ज की गईं। ये सभी ऐसे प्रमुख रूट हैं, जहां कोयला, लौह अयस्क और सीमेंट की मालगाड़ियों की भारी आवाजाही रहती है, जिसके चलते ट्रैक पर लगातार दबाव बना रहता है और हादसों की आशंका बढ़ जाती है।
कोरबा-बिलासपुर रेल हादसे में एक और घायल ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया है।.अरपा एलीट अस्पताल में भर्ती तुलाराम अग्रवाल की उपचार के दौरान मौत हो गई। इसके साथ ही इस हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर 14 हो गई है। गौरतलब है कि 4 नवंबर की शाम कोरबा से बिलासपुर आ रही मेमू ट्रेन ने लालखदान के पास खड़ी मालगाड़ी को पीछे से टक्कर मार दी थी। इस भीषण हादसे में मेमू ट्रेन के लोको पायलट विद्यासागर समेत 11 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि 20 यात्री घायल हुए थे। हालांकि इलाज के दौरान घायलों की हुई मौत के बाद मृतकों की संख्या बढ़कर आज 14 हो गई है।
परिजनों के मुताबिक, तुलाराम अग्रवाल 4 नवंबर से लगातार अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे थे। लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। जैसे ही मौत की खबर सामने आई, परिवार में कोहराम मच गया।मृतक के परिजनों ने रेलवे प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। परिजनों का कहना है कि इस हादसे में रेलवे की घोर लापरवाही सामने आई है।
उनका आरोप है कि हादसे के दिन ही उनके परिवार के एक सदस्य की मौत हो गई थी और तुलाराम अग्रवाल को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन रेलवे की ओर से न तो समुचित इलाज की व्यवस्था की गई और न ही सही तरीके से देखरेख हुई।
राजधानी रायपुर से लगे उरकुरा आरएसडी मेन लाइन पर बुधवार को मालगाड़ी के 2 खाली वैगन बेपटरी हो गए। इस घटना से बड़ा हादसा नहीं हुआ, लेकिन घंटेभर तक ट्रेनों की आवाजाही ठप रही है। कई यात्री ट्रेनों को बिलासपुर सेक्शन में ही रोकना पड़ा। हादसे की सूचना मिलते ही तुरंत एडीआरएम बजरंग अग्रवाल और वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधन अवधेश कुमार त्रिवेदी घटनास्थल पर पहुंचे और स्थिति को सामान्य कराने में जुटे।
उरकुरा आरएसडी सेक्शन में यह घटना 2 अप्रैल को दोपहर बाद 3.23 बजे हुई। जब अपलाइन से मालगाड़ी निकल रही थी। उसी दौरान सेक्शन में दो डिब्बे पटरी से उतर गए। इसकी जांच शुरू हो गई है। रेल अफसरों ने बताया कि घटना से रेल परिचालन कम समय के लिए प्रभावित हुआ है।
बिलासपुर तरफ से आने वाली अपलाइन की ट्रेनों को बिलासपुर में नियंत्रित किया गया। करीब 4.30 बजे मीडिल लाइन से ट्रेनों का परिचालन चालू कराया गया। यात्री ट्रेनें प्रभावित नहीं हुईं। घटनास्थल पर अधिकारियों कर्मचारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
साल 2025 के दौरान छत्तीसगढ़ में सामने आई रेल घटनाओं में अलग-अलग कारण सामने आए। कई मामलों में भारी माल लोड होने के कारण मालगाड़ियों के वैगन पटरी से उतर गए, जिससे ट्रैक पर लंबा जाम लग गया। तकनीकी खराबियों के चलते एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेनें घंटों तक रास्ते में खड़ी रहीं, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी झेलनी पड़ी।
लेवल क्रॉसिंग पर फाटक बंद न होने या लापरवाही के चलते वाहन ट्रेनों की चपेट में आए। वहीं, सिग्नलिंग सिस्टम में खराबी के कारण कई ट्रेनों को एहतियातन रोकना पड़ा। कुछ घटनाएं ट्रैक मेंटेनेंस और मरम्मत कार्य के दौरान हुई लापरवाही से भी जुड़ी रहीं। इन हादसों के चलते कई स्थानों पर रेल यातायात 5 से 12 घंटे तक पूरी तरह प्रभावित रहा और हजारों यात्री परेशान हुए।
रेलवे की प्रारंभिक जांच और विशेषज्ञों की राय में इन हादसों के पीछे कई अहम कारण सामने आए हैं। सबसे बड़ा कारण अत्यधिक माल लोड और लगातार बढ़ता रेल ट्रैफिक माना जा रहा है, जिससे ट्रैक पर दबाव बढ़ा। कई जगहों पर ट्रैक की समय पर मरम्मत और अपग्रेड नहीं होने से जोखिम बढ़ गया। पुराने और तकनीकी रूप से कमजोर सिग्नलिंग सिस्टम भी दुर्घटनाओं का कारण बने।
इसके अलावा, गर्मी और बारिश जैसे मौसम के प्रभाव से ट्रैक की स्थिति बिगड़ी। कई मामलों में मानवीय चूक और निगरानी की कमी भी सामने आई। विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य में रेल नेटवर्क का विस्तार तो तेजी से हुआ, लेकिन सुरक्षा से जुड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर उसी रफ्तार से मजबूत नहीं हो सका, जिस कारण हादसों की आशंका बढ़ी।
रेलवे प्रशासन ने हादसों के बाद कई सेक्शनों में ट्रैक रिन्यूअल, संवेदनशील रूट्स पर स्पीड लिमिट लागू करने, ड्रोन और सीसीटीवी के जरिए निगरानी बढ़ाने और सुरक्षा ऑडिट की प्रक्रिया तेज करने जैसे कदम उठाने के दावे किए हैं। हालांकि यात्रियों और स्थानीय संगठनों का कहना है कि इन प्रयासों के बावजूद जमीनी स्तर पर सुधार अभी भी नाकाफी है और रेल सुरक्षा को लेकर ठोस एवं स्थायी कदम उठाने की जरूरत बनी हुई है।
लगातार हो रहे हादसों से यात्रियों में डर बना रहा। खासकर रात के समय सफर करने वाले यात्रियों ने ट्रेन सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए। सोशल मीडिया पर भी कई घटनाओं के वीडियो वायरल हुए, जिससे रेलवे की छवि प्रभावित हुई।
साल 2025 ने यह स्पष्ट कर दिया है कि छत्तीसगढ़ में रेल नेटवर्क के विस्तार के साथ-साथ सुरक्षा व्यवस्था को सर्वोच्च प्राथमिकता देना अनिवार्य हो गया है। यदि समय रहते ट्रैक की गुणवत्ता, सिग्नलिंग सिस्टम और निगरानी तंत्र को आधुनिक और मजबूत नहीं किया गया, तो आने वाले वर्षों में रेल हादसों का खतरा और बढ़ सकता है।
ऐसे में साल 2026 रेलवे प्रशासन के लिए एक बड़ी परीक्षा साबित होगा—जहां केवल घोषणाओं और दावों से नहीं, बल्कि ज़मीनी स्तर पर ठोस, प्रभावी और समयबद्ध कार्रवाई से ही यात्रियों का भरोसा कायम किया जा सकेगा।
Updated on:
26 Dec 2025 04:58 pm
Published on:
26 Dec 2025 04:57 pm
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