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पुरानी परंपरा टूटी, इतिहास में पहली बार भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों को नहीं देंगे दर्शन

नेत्र उत्सव आज, तीन साल पुरानी परंपरा टूटेगी, रथयात्रा से दर्शन नहीं देंगे जगन्नाथ महाप्रभु।

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पुरानी परंपरा टूटी, इतिहास में पहली बार भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों को नहीं देंगे दर्शन

पुरानी परंपरा टूटी, इतिहास में पहली बार भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों को नहीं देंगे दर्शन

रायपुर . पुरी धाम जैसा ही रथयात्रा का उत्सव यहां भी मनाया जाता रहा है। इतिहास में पहली बार भगवान अपने भक्तों को रथ पर निकलकर दर्शन नहीं देंगे। क्योंकि कोरोना संकट है। इसलिए प्राचीन परंपरा टूट रही है। राजधानी के पुरानी बस्ती टूरी हटरी स्थित जगन्नाथ मंदिर प्राचीन है। यहां जगन्नाथ स्वामी अपने भाई-बहन के साथ परिसर में ही रथ पर विराजेंगे। मंदिर के एक कमरे को अवधपुरी धाम में नौ दिन रहने की रस्में पूरी होंगी। गायत्री नगर के मंदिर से बाहर भगवान को नहीं निकालने का निर्णय लिया गया है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जेष्ठ मास क पूर्णिमा तिथि पर 6 जून को अधिक स्नान कर लेने से भगवान जगन्नाथ स्वामी भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ बीमार पड़ गए थे। 15 दिनों तक मंदिर के पुजारी भगवान को सुबह- शाम जड़ी-बूटी के काढ़ा का भोग लगाते रहे। अब भगवान स्वस्थ हो गए हैं। सोमवार को शहर के सभी जगन्नाथ स्वामी मंदिरों में भगवान का नेत्र उत्सव यानी कि अभिषेक-पूजन होगा। 23 जून को रथ यात्रा थी, जिसे मंदिर समितियों ने निरस्त कर दिया है, क्योंकि संकट के कारण रथयात्रा नहीं निकालना तय करना पड़ा है। सदरबार बाजार मंदिर ने कुछ तय नहीं किया।

नहीं निकलेगी रथयात्रा
कोरोना संकट के कारण प्राचीन परंपरा टूट रही है। इस बार रथयात्रा नहीं निकलेगी। बल्कि परिसर में ही रथ पर भगवान का विराजने की परंपराएं पूरी होंगी। यहीं भक्त दर्शन कर सकेंगे। एक कमरे को अवधपुर का स्वरूप दिया गया है।
महंत रामसुंदर दास, प्राचीन दूधाधारी मठ

मंदिर से बाहर नहीं निकलेंगे महाप्रभु
पुरी जैसी परंपराएं टूट रही हैं। यहां रथयात्रा के दिन छेरा-पहरा की रस्में राज्यपाल और मुख्यमंत्री सोने की झाडू लगाकर करते रहे हैं, लेकिन इस बार जगन्नाथ महाप्रभु मंदिर से बाहर नहीं निकलेंगी। सिर्फ रोज की तरह पूजा-आरती होगी।
पुरंदर मिश्रा, अध्यक्ष जगन्नाथ मंदिर गायत्री नगर