
Makar Sankranti 2023
Makar Sankranti 2023 Date and Timing: मकर संक्रांति इस बार दो दिन मनाई जाएगी। पहले दिन 14 जनवरी को पतंगबाजी उत्सव मनाया जाएगा, जबकि अगले दिन यानी 15 जनवरी को सुकर्मा योग में संक्रांति का पुण्य दान किया जाएगा। ज्योतिषियों ने बताया कि 15 जनवरी को मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2023) से ही देवताओं की सुबह होगी। यानी देवताओं के दिन की शुरुआत होगी। इस दिन 11 घंटे का पुण्यकाल रहेगा जो सुबह 5.47 बजे से शुरू होगा।
गौरतलब है कि सूर्य अगले रविवार से उत्तरायण हो रहे हैं। मान्यता है कि सौरमंडल का एक वर्ष देवलोक का एक दिन होता है। इस हिसाब से 6 माह देवताओं की रात तो 6 माह दिन होता है। ज्योतिषाचार्य डॉ. दत्तात्रेय होस्केरे ने बताया कि जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब मकर संक्रांति होती है। मकर संक्रांति का दिन देवताओं का प्रभातकाल माना गया है, यानी की देवलोक की सुबह होती है। इसलिए इस अवसर पर किया गया दान 100 गुणा महत्व माना गया है। इसी दिन से मलमास समाप्त होकर शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है। यानी 15 के बाद वैवाहिक आयोजन व मांगलिक कार्य होली तक हो सकेंगे।
Makar Sankranti 2023 Date and Timing: इस वजह से 15 को मनाई जाएगी संक्रांति
ज्योतिषाचार्य पं. विनीत शर्मा ने बताया कि ग्रहों के राजा सूर्य 14 तारीख की रात 8.57 बजे मकर राशि में गोचर करेंगे। इसकी उदियात तिथि रविवार 15 को प्राप्त होगी। ऐसे में संक्रांति का दानपुण्य रविवार को ही किया जाएगा। माघ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर रविवार को चित्रा नक्षत्र सुकर्मा योग व बालव करण तथा तुला राशि के चंद्रमा की साक्षी में मकर संक्रांति का पुण्य काल होगा क्योंकि सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 को रात 8.57 बजे पर होने से पर्व काल अगले दिन माना जाता है।
Makar Sankranti 2023: त्रिग्रही युति दान के लिए फलदायी
ज्योतिषियों ने बताया कि पर्व काल को श्रेष्ठ तथा महत्वपूर्ण बनाने के लिए सूर्य, शनि व शुक्र का विशिष्ट युति संबंध में होना भी अपने आप में महत्व रखता है। क्योंकि पिता-पुत्र दोनों का ही एक राशि में होना, वह संयुक्त रूप से शुक्र का भी इस राशि पर परिभ्रमण करना अर्थात मकर राशि पर इन तीनों ग्रहों का संयुक्त होना अपने आप में विशिष्ट माना जाता है। इससे शश योग और मालव्य योग का निर्माण हो रहा है। केंद्र में शनि केंद्राधिपति अथवा त्रिकोण अधिपति या स्वयं की राशि में गोचरस्थ हो एवं शुक्र वर्गोत्तम या केंद्राधिपति होकर अनुकूल युति बनाते हो तो भी वे मालव्य योग की श्रेणी में माने जाते हैं।
Published on:
08 Jan 2023 12:58 pm
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