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चित्र बेचइया झुमुक ह बनिस स्वामी चित्रानंद

सुरू-सुरू म लोमस रिसि आसरम म चितरानंद परसाद बटैया के काम करिस। हनुमान मंदिर वाले स्वमी उमेसानंद वोला गुरुभांठा ओडिसा के दुरगामंदिर लेगिस। फेर, उही उमेसानंदजी ह पटियाला भेजिस। चितरानंद स्वामी के जीवन ह धरम के रंग म अइसने रंग गे हे। कविता लिखई, धारमिक पुस्तक बेचे के काम अउ गोसेवा। भेस-भूसा संन्यासी असन।

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चित्र बेचइया झुमुक ह बनिस स्वामी चित्रानंद

चित्र बेचइया झुमुक ह बनिस स्वामी चित्रानंद

छत्तीसगढ़ी साहित्य

संरवर फल नहि खात है, सरवर पियहिं न नीर। परमारथ को कारनो, संतन धरा सरीर। संतमन बर ए दोहा लिखे गे हे। माने पेड़ ह फल दूसर ल देथे, खुद नइ खाय, तरिया ह दूसर ल पानी देथे, दूसरमन के हित बर संतमन जनम धरथें।

अइसने एक संत हमर पवन दीवान महराज होइस। राजिम के बरमचरय आसरम के परमुख बनिस। ऊहां पाठसाला खोलिस। छत्तीसगढ़ के मान-सम्मान बर लडि़स। छत्तीसगढ़ के बेटी माता कौसल्या अउ छत्तीसगढ़ के भांचा राम के गुनानबाद करते हुए सब ल जगइस।

राजिम के उही संत पवन दीवान के चेला बनिस किरवई तीर के गांव धमनी के झुमुक लाल ह। 1949 में धमनी गांव म जन्मे झुमुक ह जादा पढ़े-लिख नइ रिहिस। संत पवन दीवान के लिखे कवितामन ल गाके सुनाय लगिस। गेरूवा कपड़ा धारन कर लिस। अउ पवन दीवानजी के चित्रमन ल बेचे के उदिम करे लगिस। गांव-गांव जिहां दीवानजी के भागवत होवय, उहां चित्र, परवचन के केसेट, माला मुंदरी बेचंय। ऐला दीवानजी देख परिस। झुमुक ल बला के पूछिस- कब ले चित्र बेचत हस। वोहा कहिस- दसो बछर होगे महराज।

यहि प्रतिपालव सब परिवारू।
नई जानव कछु अऊर कबारू।
अइसे कहिके झुमुक ह दीवानजी के पांव ल धर लिस। दीवानजी के आंखी ले आंसू निकले लगिस। दीवानजी आसिरबाद देके किहिस- जा आज ले तोर नाव होही स्वामी चितरानंद। तब ले अतराप म झुमुक के नाव स्वामी चितरानंद होगे। गांव-गांव म जाने जाथे स्वामी चितरानंद ल। चितरानंदजी ह राजिम के लोमस रिसी आसरम म सेवा देथे। अभी चार महीना पटियाला के हनुमान मंदिर म सेवादारी करके राजिम लहुटे हे।
1949 म किरवई तीर के गांव धमनी म इंकर जनम होइस। जगा-जगा धमनी नाव के गांव हे। विप्रजी ह सुग्घर कविता म धमनी गांव के नाव लिखे हे- ‘तोला देखे रेहेंव जी, तोला देखे रेहेंव ग धमनी के हाट म बोइर तरी।’

मंय धमनी के हाट म तो नइ जा पाएंव। मंय पहली बेर पिछू बछर राजिम म झुमुक सो मिलेंव। हमर जनवादी लेखक संघ गरियाबंद जिला के सम्मेलन म उंकर कविता सुनेंव। करांतिकारी कविता सुनइस चित्राानंद ह। बड़ सुग्घर, दीवानजी के कविता। काबर नइ लागही सुग्घर। दीवानजी के आसीरबाद पाय कवि ए। हमन सब सुन के बहुत संहराऐन। चितरानंदजी डेढ़ एकड़ के किसान ए। 3 बेटा हे। तीनोंमन कमाथे-खाथें। बांह भरोसा तीन परोसा वाला मामला हे। घर म पांचठिन लागत गाय हे।

हमन चितरानंदजी के घर एक जनवरी 24 के गेंन। झुमुक लाल छोटे कद के मजबूत किसान ए। अइसने मन बर कहावत हे- ‘बुटरी गैया सदा कलोर।’ आजो जवान दिखते झुमुक ह। दीवानजी के जन्मदिवस के समारोह में हम गेंन चितरानंदजी के गांव म।

घर म भोजन करे के बाद गाय के आधा-आधा किलो रबड़ी, सांही, दूध हमन ल मिलिस। हमन पी के केहेन के जिनगी बीतगे अइसन दूध पहली बार पिए बर मिलिस। दूध म चितरानंदजी के परेम अउ आसीरबाद मिले रिहिस। राजिम के भिलाईघाट म नवागांव पंचायत ह माता कौसल्या मंदिर बनावत हे, तेकर खबर हमन ल चितरानंदजी दिस। रायपुर, गरियाबंद अउ धमतरी के मेड़ों म ए मंदिर बनत हे। तिरवेनी संगम के तीर म दीवानजी के चेलामन बनावत हे।

सुरू-सुरू म लोमस रिसि आसरम म चितरानंद परसाद बटैया के काम करिस। हनुमान मंदिर वाले स्वमी उमेसानंद वोला गुरुभांठाओडिसा के दुरगामंदिर लेगिस। फेर, उही उमेसानंदजी ह पटियाला भेजिस।
चितरानंद स्वामी के जीवन ह धरम के रंग म अइसने रंग गे हे। कविता लिखई, धारमिक पुस्तक बेचे के काम अउ गोसेवा। भेस-भूसा संन्यासी असन। गिरिहस्त संन्यासी ए चितरानंदजी ह।

संत पवन दीवान ह छत्तीसगढ़ सासन के गोसेवा आयोग के अध्यक्त रिहिस। 2009 म पंचकोसी धाम गोसला के गठन होइस। चितरानंदजी सहित लखन लाल साहू, अमरित लाल यदु, चंद्रसेखर, जगदीस यादव गोसाला समिति सदस्य बनिन। आज वो गोसाला म पांच सौ गाय हे। सरकार ह सहायता देथे। पवन दीवान ह ए गोसाला के उद्घाटन करे रिहिस। सुक्खा नदी के खंड म हे ए गोसाला ह। देखनी हे। विराट अउ बहुत हरा -भरा। गायमन अच्छा सेवा के सेत खूब दूध देथे। सब जाके गोसाल ल देखथें अउ स्वामी पवन दीवान के सुरता करथें।

हमर नान-नान गांव म एक से बढक़े एक बने मनखे मिलथे। उंंकर सुभाव अउ काम देख के भरोसा होथे के बने काम के करइया घलो बाढ़त जाही। निरासा के कोनो बात नइए। दीवानजी के सब चेलामन माता कौसल्या अउ छत्तीसगढ़ के भांचा सिरीराम के जयकारा लगावत काम करत हें। लाला फूलचंद हा ऐकरे सेती लिखे हे।

जय-जय कौसल्या के देस
सत्य अंहिसा, दया छिमा
परिपूरन कौसल माता।
राम लला कोरा म खेलय
दूधपूत के नाता।
नव के योग हे लख छत्तीसी
इही राम अवधेस
जय-जय कोसल्या के देस।