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1400 साल पुराना है मां महामाया मंदिर का इतिहास, यहां आज भी पत्थर की चिंगारी से जलती है पहली ज्योत

Navratri 2019: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के 1400 साल पुराने मां महामाया मंदिर में इस साल 11091 मनोकामना ज्योत जलाए गए हैं।

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1400 साल पुराना है मां महामाया मंदिर का इतिहास, यहां आज भी पत्थर की चिंगारी से जलती है पहली ज्योत

1400 साल पुराना है मां महामाया मंदिर का इतिहास, यहां आज भी पत्थर की चिंगारी से जलती है पहली ज्योत

रायपुर. रविवार से मां शक्ति की उपासना का पर्व नवरात्रि प्रारंभ हो चुका है। माता के भक्त सुबह से शाम तक देवी मंदिरों में दर्शन के लिए कतार लगाए खड़े रहते हैं। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के 1400 साल पुराने मां महामाया मंदिर में इस साल 11091 मनोकामना ज्योत जलाए गए हैं।

पुरानी बस्ती स्थित मां महामाया मंदिर का इतिहास 1400 साल पुराना माना जाता है। इसलिए इस मंदिर में आज भी प्राचीन परंपरा जीवंत है। इस मंदिर की परंपरा है कि यहां की प्रधान ज्योत वैदिक मंत्रोत्चार के बीच चकमक पत्थर के टूकड़ों को रगडऩे से उठी चिंगारी से प्रज्जवलित की जाती है।

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की प्राचीन महामाया मंदिर बेहद ही चमत्कारिक मंदिर माना जाता है। तांत्रिक पद्धति से बने इस मंदिर में माता के दर्शन करने के लिए देश ही नहीं विदेशों से भी भक्त पहुंचते हैं। वहीं, नवरात्र में सच्चे मन से मांगी गई मन्नत तत्काल पूरी हो जाती है। ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार हैहयवंशी राजाओं ने छत्तीसगढ़ में छत्तीस किले बनवाए और हर किले की शुरुआत में मां महामाया के मंदिर बनवाए। मां के इन छत्तीसगढ़ों में एक गढ़ हैं, रायपुर का महामाया मंदिर, जहां महालक्ष्मी के रुप में दर्शन देती हैं मां महामाया और सम्लेश्वरी देवी।

मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि मां महामाया देवी, मां महाकाली के स्वरुप में यहां विराजमान हैं। सामने मां सरस्वती के स्वरुप में मां सम्लेश्वरी देवी मंदिर विधमान है। इस तरह यहां महाकाली, मां सरस्वती, मां महालक्ष्मी तीनों माताजी प्रत्यक्ष प्रमाण रुप में यहां विराजमान हैं। मां के मंदिर के गर्भगृह की निर्माण शैली तांत्रिक विधि की है। मां के मंदिर के गुंबज श्री यंत्र की आकृति का बनाया गया है।

यह मंदिर हैहयवंशी के राजा मोरध्वज खास तांत्रिक विधि से बनवाया था। हैहयवंशी वंश के राजाओं की माता कुलदेवी है। इस तरह राजवंश ने पूरी छत्तीस मंदिरों का निर्माण करवाया था, यह मंदिर राजाओं के किलों के पास स्थित है। पंडित शुक्ला बताते हैं कि मां के चरणों में जो भी भक्त सच्ची आस्था से मनोकामना मांगता है, वह पूरी जरूर पूरी होती है। यह देश का पहला ऐसा मंदिर है जहां दो भगवान भैरव स्वरूप दो मंदिर हैं।

Source by : Dinesh yadu