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Naxal Victims: नक्सल पीड़ितों का दर्द… रात में सोते हैं तो सुबह जिंदा उठने का नहीं रहता भरोसा, दिल्ली यात्रा से लौटकर कही ये बात, देखें Photos

Raipur News: छत्तीसगढ़ के नक्सल पीड़ित परिवार की आपबीती सुनकर आपका भी रुह कांप उठेगा। दिल्ली से लौटे इन परिवारों ने लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में अपनी पीड़ा साझा की।

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Naxal Victims

Naxal Victims: बस्तर के नक्सल पीड़ित परिवारों ने बुधवार को रायपुर में अपना दर्द बयां किया। दिल्ली से लौटे नक्सल पीड़ित परिवारों ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा, दूसरे लोग जैसे जी रहे हैं वैसे हम बस्तर में भी जीना चाहते हैं।

Naxal Victims

Naxal Victims: चार दशकों से बस्तर में मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंची हैं। बच्चा स्कूल जाता है तो नक्सली उन्हें रोकते हैं। हिंसा में धकेला जाता है। रात में सोते हैं तो सुबह जिंदा उठेंगे की नहीं ये भी भरोसा नहीं होता है।

Naxal Victims

Naxal Victims: दिल्ली में राष्ट्रपति और केंद्रीय गृहमंत्री से मुलाकात कर अपना दुख दर्द बताकर 50 से अधिक नक्सल पीड़ित परिवार छत्तीसगढ़ लौट आए हैं।

Naxal Victims

Naxal Victims: प्रेस कॉन्फ्रेंस में बस्तर शांति समिति ने कहा, राष्ट्रपति और केंद्रीय गृहमंत्री से नक्सलवाद खत्म करने की मांग की है। गृहमंत्री ने नक्सलवाद खत्म करने का आश्वासन दिया है। 2026 तक का समय दिया गया है।

Naxal Victims

Naxal Victims: नक्सल पीड़ित जेनएयू भी गए थे। जेनएयू में माओवादियों के शहरी पैरोकार बैठे हैं। वहां अपनी पीड़ा सुनाते हुए जेनएयू परिसर में जमकर नक्सल विरोधी नारे लगाए।

Naxal Victims

Naxal Victims: बस्तर शांति समिति के सदस्य मंगऊ राम कावड़े ने बताया कि 21 सितंबर को पीड़ितों का प्रतिनिधिमंडल बस्तर की पीड़ा की जानकारी देने और अपनी वस्तु स्थिति बताने के लिए राष्ट्रपति भवन पहुंचा। जहां पीड़ितों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से भेंटकर उन्हें नक्सलियों की क्रूरता एवं बस्तर में चल रही हिंसा से अवगत कराया।

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Naxal Victims: पत्रकारों से चर्चा करते हुए नक्सल पीड़ितों ने बताया कि नक्सली हिंसा में किसी ने अपनी आंखें खोई है तो किसी ने अपना बेटा। नक्सलियों की क्ररता के चलते आज भी डर के साए में जीवन गुजर बसर करने को मजबूर है।

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Naxal Victims: बस्तर शांति समिति ने बताया कि नक्सली हिंसा में 8 हजार से ज्यादा ग्रामीणों की मौत हो चुकी है। 1 हजार से ज्यादा लोग अपने हाथ पैर खो चुके हैं। छोटे-छोटे बच्चे अनाथ हो गए हैं।