
New rule in Medical Colleges: प्रदेश के MBBS छात्र पास होने के बाद इंटर्नशिप करने के लिए मेडिकल कॉलेज नहीं बदल पाएंगे। वे जिस कॉलेज से पढ़ाई करेंगे, उन्हीं कॉलेजों से इंटर्नशिप कर सकेंगे। पं. दीनदयाल हैल्थ साइंस एवं आयुष विवि का यह नया नियम प्रदेशभर के मेडिकल कॉलेजों में लागू हो गया है। यही नहीं, विदेश के कॉलेजों से एमबीबीएस पास कर लौटने वाले छात्रों के लिए प्रत्येक कॉलेज में 5 फीसदी सीट रिजर्व रखी जाएगी। इस संबंध में पहले ही नोटिफिकेशन जारी किया जा चुका है।
New rule in Medical Colleges CG: प्रदेश में 10 सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं। इनमें 6 कॉलेजों में हर साल फाइनल ईयर भाग दो के छात्र पास हो रहे हैं। चार नए कॉलेज हैं, जहां फाइनल ईयर भाग दो की पढ़ाई अभी नहीं हो रही है। एमबीबीएस साढ़े 4 साल का कोर्स है। इसके बाद एक साल की इंटर्नशिप करना अनिवार्य है। इंटर्नशिप वही छात्र कर सकते हैं, जो एमबीबीएस फाइनल ईयर भाग दो में पास होते हैं।
पहले छात्र दूसरे कॉलेज से एमबीबीएस पास करने के बाद रायपुर या दूसरे कॉलेजों में इंटर्नशिप के लिए आवेदन करते थे। इससे विवाद की स्थिति बन जाती थी। कुछ निजी कॉलेज के छात्र भी सरकारी कॉलेजों में इंटर्न करने की फिराक में रहते थे। लगातार विवाद के बाद हैल्थ साइंस विवि ने नया नियम लागू कर दिया है। कॉलेजों को भी इस संबंध में जरूरी निर्देश दिए गए हैं। कोई भी कॉलेज, दूसरे कॉलेज के छात्र को इंटर्नशिप की अनुमति नहीं दे सकता।
CG Nwes: मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की जितनी सीटें होती हैं, उतनी ही सीटों पर इंटर्नशिप कराने की अनुमति दी जाती है। उदाहरण के लिए नेहरू मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की 230 सीटें हैं। नियमानुसार यहां इतने ही छात्र इंटर्नशिप कर सकते हैं। चूंकि रिजल्ट शत-प्रतिशत नहीं आता इसलिए विदेश से एमबीबीएस करने वालों को भी इंटर्नशिप करने की अनुमति मिल जाती है। यही नहीं, दूसरे राज्यों से निजी कॉलेज से पास होने वालों को भी इंटर्नशिप की अनुमति दी जाती है। ऐसे छात्रों को कॉलेज व विवि में जरूरी शुल्क जमा करना होता है। इंटर्न छात्रों को हर माह 12600 रुपए स्टायपेंड भी दिया जाता है। यह एक साल तक दिया जाता है।
एक साल की इंटर्नशिप पूरी होने के बाद छात्रों को दो साल की बॉन्ड पोस्टिंग मिलती है। वे इस दौरान मेडिकल अफसर के बतौर सेवाएं देते हैं। उन्हें हर माह मानदेय भी दिया जाता है। दो साल की बॉन्ड पोस्टिंग होने के बाद उन्हें हैल्थ साइंस विवि से स्थायी डिग्री मिलती है। यही नहीं, छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल में स्थायी पंजीयन भी होता है। पोस्टिंग के बिना ऐसा संभव नहीं है। यही कारण है कि ज्यादातर छात्र पोस्टिंग पर जाने लगे हैं। यही नहीं, बॉन्ड पर न जाने वाले छात्रों के लिए 20 से 25 लाख रुपए की पेनाल्टी भी है।
Updated on:
11 Jul 2024 12:50 pm
Published on:
11 Jul 2024 12:44 pm
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