
सुनील सुधाकर पाण्डेय@ रायपुर: शहर में हर दिन सैकड़ों लोगों को दो समाया का खाना भी नसीब नहीं हो पता है. स्टेशन, बस स्टैंड और चौक चौराहों पर बच्चे और बूढ़े भूखे पेट ही सो जाते हैं. ऐसे जरुरतमंदो की भूख शांत करने के लिए राजधानी के चंद्रकांत व उनका परिवार नेक पहल कर रहा है. चंद्रशेखर हर रविवार को घर-घर जाकर में जाकर दो-दो रोटिया इकस्ठा करते हैं और शाम को रेल्वे स्टेशन, बस स्टैंड, मंदिरो, मस्जिदों और शहर की हर वो जगह जहां गरीब रहते हैं उनको खाना खिलाने का काम कर रहे हैं।
परिवार के सदस्य भी इस कार्य में करते हैं सहयोग
चंद्रशेखर साहू का तीन भाइयों का परिवार शहर के प्रोफेसर कालोनी में रहता है। उनकी अपनी कॉस्मेटिक की दुकान है जिन्हे तीनो भाई मिलकर चलाते हैं। छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता हैै। चंद्रकांत साहू के साथ इस काम में उनके परिवार का पूरा सहयोग मिलता है। आज के समय में जहां लोगों को पैदल चलने में शर्म महसूस होती है वहीं चंद्रकांत के दो भतीजे दीपांशू और हर्श भी उनके साथ सुबह दस बजे से दोपहर तक झोला लेकर घर-घर रोटी इकस्ठा करते हैं। यहां सरकार के द्वारा कई जगहों पर दाल-भात केंद्र भी खोला गया है लेकिन फिर भी कई लोगों को भूंखे सोना पड़ता है।
मुहिम से जुड़ रहे लोग
छत्तीसगढ़ के ज्यादातर घरों में दोनो टाइम भात ही खाया जाता है लेकिन अब लोगों के घरों में हर रविवार को रोटियां खास तौर पर बनने लगी हैं। लोग भी चंद्रकांत के साथ इस मुहिम में जुड़ कर लोगों की मदद के लिए सहायता कर रहे। चंद्रकांत का कहना है कि लोग अब इंतजार करते हैं मेरे आने का और अगर थोड़ा लेट हो जाऊं तो फोन करने लगते हैं। यहां तक कि कभी अगर मै या बच्चे न जा पाएं किसी वजह से तो ज्यादातर लोग हमारे घर पर ही रोटियां छोड़ जाते हैं।
घर में ही बनाई जाती है सब्जी
रोटी के साथ में सब्जी की व्यवस्था चंद्रकांत खुद से ही करते हैं। ज्यादातर आलू की सूखी सब्जी उनके घर से ही बनाई जाती है। लेकिन अब लोग भी रोटी के साथ आलू, प्याज, सब्जी मसाले और दूसरी सब्जियां भी देते हैं। कालोनी में रहने वाले ऐसे लोग जिनकी सब्जी की दुकान है वो लोग अक्सर हरी और ताजी सब्जिया देते रहते हैं। और बांकी की व्यवस्था चंद्रकांत अपनी दुकान से करते हैं। इन सबमें उनके परिवार का पूरा सहयोग रहता है उनके रोटी कलेक्शन करके लाने के बाद घर की महिलाएं सब्जी बनाना, पैकिंग करने जैसा काम कर रही हैं।
आस पास के युवकों का भी मिल रहा सहयोग
खाना जब कार्टून में बांध कर तैयार हो जाता है तो उनके मोहल्ले में रहने वाले आस-पास के कुछ लडक़े भी सहयोग करते हैं। वो लोग चंद्रकांत के साथ मिलकर अपनी मोटरसाइकल या स्कूटर में खाने से भरा कार्टून लेकर अस्पताल, मंदिर , मजारों, रेल्वेस्टेशन, बसस्टैंड, के आस-पास बैठे भूखे गरीबों तक खाना बाटने में मदद करते हैं। ये लडक़े लोग इन सारी गतिविधियों की फोटो और विडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपडेट कर चंद्रकांत की मुहिम का जोरदार प्रमोशन करते हैं।
देश भर में 26 से ज्यादा जगहों पर पर चल रही शाखा
दरअसल इस काम की शुरुआत उत्तरप्रदेश के हरदोई से पांच-सात साल पहले की गई थी। इसे शुरू करने वाले हरदोई के विक्रम पाण्डेय ने बताया कि हमने 26 से ज्यादा और शाखाएं उत्तरप्रदेश में शुरू की हैं। इसके अलावा छत्तीसगढ़ सहित देश भर के दूसरे राज्यों में हरियांणा, बिहार, झारखंड, दिल्ली, उत्तराखंड, महारास्ट्र, तेलंगाना, बंगाल में भी शुरुआत की जा चुकी हैं। हमारा उद्ेश्य है की पूरे देश भर में ये काम शुरू किया जा सके।
Published on:
12 Mar 2018 05:02 pm
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